बेमेतरा। सीमा एक साधारण गरीब परिवार की बेटी है, जो जिले के एक छोटे से गांव में रहती थी। उसके पिता एक छोटे से दुकान पर काम करते थे और माता-पिता बहुत मेहनती थे, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति मेहनत के बावजूद सुधारने में कामयाब नहीं हो रही थी।
सीमा बहुत पढ़ाई-लिखाई में रूचि रखती थी और उसके मन में अपने सपने थे। वह अपने परिवार को भविष्य में सुख-शांति देने का सपना देखती थी। लेकिन उसके परिवार की आर्थिक हालत उसे अपने अध्ययन के लिए समर्थ नहीं बना रही थी। एक दिन, उसके गांव में महिला एवं बाल विकास के अधिकारी ने उसे मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के बारे में बताया। सीमा को यह सुनकर खुशी हुई कि उसके सपनों को साकार करने का एक रास्ता तो है। उसने अपने पिता को योजना के बारे में बताया और उन्हें विवाह के लिए आवेदन करने की सलाह दी।
सीमा के परिवार ने योजना के अंतर्गत आवेदन किया और जल्द ही उनका आवेदन स्वीकार हो गया। उन्हें विवाह के खर्चे का भार सरकार ने दिया। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के सहारे, सीमा का विवाह खुशियों से सम्पन्न हुआ। उसके सपने साकार हो गए और उसे अध्ययन के लिए अधिक संसाधन मिलने लगे। वह अब एक गैर-सरकारी स्कूल में नौकरी करती है और अपने परिवार की मदद कर रही है। बिटिया के विशेष अनुरोध और निजता के कारण वास्तविक नाम व फोटो नहीं दिया गया।
वैश्विक महामारी कोरोना काल के चलते वर्ष 19-20 और 20-21 को छोड़ दें तो जिले में तीन सालों में 227 निर्धन परिवारों की बेटियां मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना अन्तर्गत विवाह बंधन में बंधी। जो सुखी दाम्पत्य जीवन गुजार रही है। इस योजना के माध्यम से फिजुल खर्च एवं दहेज प्रथा जैसे कुरीतियों को समाप्त करने का एक अच्छा माध्यम है। अब ऐसे कन्याओं के माता-पिता को आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ रहा है। सामूहिक विवाह का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा कराया जाता है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत प्रति जोड़ा सहायता राशि 25 हजार रूपए से बढ़ाकर 50 हजार रूपए कर दी गई है। योजना के तहत 21 हजार रूपये तक की आर्थिक सहायता सामग्री के रूप में, 21 हजार रूपये का बैंक ड्राफ्ट तथा सामूहिक विवाह आयोजन व्यवस्था पर अधिकतम 8 हजार रूपये तक व्यय का प्रावधान भी किया गया है।
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