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अंधविश्वास की आग में मासूम की बलि: छत्तीसगढ़ में 7 साल की बच्ची की निर्मम हत्या, भाभी निकली मास्टरमाइंड

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के एक छोटे से गांव में 7 साल की मासूम लाली गोस्वामी की दर्दनाक मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। झूठे अंधविश्वास, लालच और काले तंत्र के नाम पर इंसानियत को शर्मसार करने वाली इस वारदात में मासूम की बलि चढ़ा दी गई—और ये काम किसी बाहरी ने नहीं, बल्कि उसके अपने ही भाई-भाभी ने किया।

रात के सन्नाटे में उठा ली गई मासूम…

11 अप्रैल 2025 की रात कोसाबाड़ी गांव में जब बाकी लोग गहरी नींद में थे, तब लाली अपनी मां पुष्पा के पास सो रही थी। लेकिन आधी रात करीब 2 बजे मां की नींद खुली तो देखा—बिस्तर से उसकी लाली गायब थी। गांव में रातभर तलाश हुई, मगर कोई सुराग नहीं मिला। अगले दिन मां थाने पहुंची, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि जो हुआ है, वह इतना भयावह होगा।

तीन हफ्ते बाद मिला खौफनाक सुराग

करीब तीन हफ्तों की खोजबीन के बाद, 6 मई को गांव के श्मशान घाट के पास एक खेत से बच्ची की खोपड़ी और हड्डियां मिलीं। DNA जांच से पुष्टि हुई—ये अवशेष लाली के ही थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान मिले, जिससे साफ हो गया कि उसकी हत्या बेहद क्रूर तरीके से की गई थी।

मास्टरमाइंड भाभी और लालच में डूबा भाई

पुलिस की जांच में सामने आया कि लाली की भाभी ऋतु गोस्वामी (36) इस पूरे मामले की मास्टरमाइंड थी। उसके साथ इस काले खेल में लाली का सगा भाई चिम्मन गोस्वामी (40), नरेंद्र मार्को (21), आकाश मरावी (21) और एक झाड़फूंक करने वाला बैगा रामरतन निषाद (45) शामिल थे।

नार्को टेस्ट और पूछताछ के बाद खुलासा हुआ कि ‘झरन पूजा’ नाम की तांत्रिक क्रिया के जरिए अमीर बनने की चाह में इन लोगों ने लाली की बलि चढ़ाने की योजना बनाई थी।

‘झरन पूजा’ के लिए चाकू से की गई हत्या

नरेंद्र मार्को ने रात करीब 1 बजे बच्ची को उसके घर से अगवा किया। फिर श्मशान घाट ले जाकर ऋतु ने उसे काले कपड़े पहनाए। झूठे तंत्र-मंत्र के लालच में बच्ची की चाकू से हत्या कर दी गई। इसके बाद आकाश मरावी ने लाश को खेत में 100 मीटर दूर ले जाकर गाड़ दिया—ताकि सबूत मिटाया जा सके।

गांव में पसरा सन्नाटा, इंसाफ की मांग

गांव वाले सदमे में हैं। जिन्हें परिवार का सुरक्षा कवच होना चाहिए था, उन्होंने ही एक मासूम को तंत्र के नाम पर मौत के हवाले कर दिया। IG डॉ. संजीव शुक्ला और SP भोजराम पटेल के नेतृत्व में पुलिस की विशेष टीम ने हाईटेक जांच—CCTV, साइबर ट्रेसिंग, ब्रेन मैपिंग, नार्को टेस्ट और गवाहों के बयान के आधार पर पूरे मामले की परतें खोलीं।

इस केस ने एक बार फिर साबित कर दिया—जब अंधविश्वास, लालच और क्रूरता का मेल होता है, तो उसका सबसे बड़ा शिकार होता है—मासूम इंसानियत।

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