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सोनामुरा : राज्य को माणिक की जगह हीरा की जरूरत

सोनामुरा :  पूर्वोत्तर में कमल खिलाने की मुहिम पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को चुनावी राज्य त्रिपुरा में जनता से 25 साल के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंकने की अपील की। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य की जनता ने इतने लंबे समय से गलत माणिक पहन रखा है जिससे विकास की राह में वह पिछड़ा हुआ है। राज्य को अब माणिक की जगह हीरा की जरूरत है।
त्रिपुरा के सोनामुरा में चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, वामंपथी लाठी से लोकतंत्र चलाते हैं। त्रिपुरा सरकार ने राज्य में अपने खिलाफ बोलने वाले लोगों के अंदर भय का माहौल बना रखा है। रोजवैली चिटफंड घोटाले में गरीबों को लूटा गया है और जिन्होंने लूटा है, उन्हें सजा देना होगा ताकि गरीब का कोई पैसा नहीं लूट पाए।
पीएम ने हीरा का मतलब समझाया
पीएम मोदी ने कहा, किसी की हत्या हो जाए तो पहले लाल सलाम वालों को चढ़ावा देना पड़ता है पर अब किसी को डरने की जरूरत नहीं है। राज्य के लोगों को अब बस माणिक उतारकर हीरा पहनना होगा। उन्होंने कहा, त्रिपुरा में लोगों ने 25 साल से गलत माणिक पहन रखा है जिसे उतारने पर ही भाग्य बदलेगा। माणिक से मुक्ति लेकर आपको अब हीरा की जरूरत है। हीरे के एच का अर्थ हाइवे, आई का आईवे, आर का रेलवे और ए का अर्थ एयरवे है।
उन्होंने कहा,  हम समूचे पूर्वोत्तर का विकास करना चाहते हैं। केंद्र सरकार सडक़ बनाकर विकास लाना चाहती है। अटल जी ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए सडक़ें बनाने पर जोर दिया। हमने ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी पर जोर दिया है। मेरा मानना है कि देश का भाग्य तब बदलेगा जब त्रिपुरा का भाग्य बदलेगा।
उन्होंने कहा कि हम त्रिपुरा में तीन टी पर जोर दे रहे हैं। ये हैं ट्रेड, टूरिज्म, युवाओं को ट्रेनिंग ताकि वे चमकने का अवसर हासिल कर सकें। उन्होंने कहा, मैं हैरान हूं कि 1996 के बाद से त्रिपुरा में वेतन में कोई सुधार नहीं हुआ। देश के किसी दूसरे कोने में ऐसा होता तो ये लाल झंडा लेकर निकल पड़ते और आग लगा देते। हिंदुस्तान में किसी को अंदाजा भी नहीं होगा कि त्रिपुरा में कैसी क्रांति आ रही है, ये चुनाव बीजेपी नहीं यहां की जनता अपने हक़ों के लिए लड़ रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य में 1700 करोड़ रुपये के निवेश से 125 किलोमीटर सडक़ बना रही है। उन्होंने कहा, लंबे समय तक बांस को वृक्ष की श्रेणी में रखा गया था। इसने आदिवासियों को नुकसान पहुंचाया जो यहां बांस उगाते हैं। हमने नैशनल बंबू मिशन के तहत इसे बदल दिया और इसे घास के रूप में मान्यता दी ताकि इसका इस्तेमाल किया जा सके।
 

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