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छत्तीसगढ़ में करमा महोत्सव 2025 — जनजातीय सांस्कृतिक विरासत की अनूठी झलक

रायपुर। छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय संस्कृति, लोकनृत्य, लोकगीत और परंपराओं को संजोने के लिए पूरे राज्य में भव्य करमा महोत्सव 2025 का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन 1 अक्टूबर से 15 नवंबर तक चार चरणों में ग्राम से लेकर राज्य स्तर तक किया जाएगा।

मुख्य आकर्षण

करमा नृत्य, करमा गीत, पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन

जनजातीय लोक कलाकारों की भागीदारी

राज्य स्तर पर विजेता दल को ₹2 लाख तक पुरस्कार

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के लिए चयन और मंच की व्यवस्था

प्रत्येक स्तर पर महिला-पुरुष कलाकारों के लिए यात्रा, भोजन और आवास की सुविधा

करम — श्रद्धा और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक

करमा वृक्ष जनजातीय आस्था का प्रतीक है, जिसे करम राजा (देवता) और करम सेनी (देवी) के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व समुदायों की आंतरिक एकता, प्रकृति से जुड़ाव और परंपरा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम है।

महोत्सव का दायरा

सरगुजा, जशपुर, कोरिया, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, महासमुंद, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में कलाकार हिस्सा लेंगे।

प्रमुख उद्देश्य

जनजातीय पर्वों को संरक्षित करना

पारंपरिक नृत्यों और संगीत को बढ़ावा देना

सांस्कृतिक पहचान को सशक्त करना

युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना

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