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छत्तीसगढ़ सरकार ने करीब 2 लाख 80 हजार श्रमिकों को पहुंचाई राहत

रायपुर, लाॅकडाउन से उत्पन्न परिस्थितियों के कारण राज्य एवं राज्य से बाहर फंसे हुए 2 लाख 79 हजार से अधिक जरूरतमंद श्रमिकों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और श्रम मंत्री डाॅ. शिव कुमार डहरिया के निर्देश पर तत्काल राहत पहंुचायी गई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बचाव के लिए देश भर में किये गये लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशन पर श्रम विभाग द्वारा स्थापित हेल्पलाईन सहित अन्य स्त्रोतों से मिली सूचना के आधार पर राज्य में तथा राज्य के बाहर 28 अप्रैल की स्थिति में दोपहर 3 बजे तक की स्थिति में करीब 2 लाख 79 हजार 38 जरूरतमंद श्रमिकों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया गया है।

छत्तीसगढ़ के एक लाख 8 हजार 315 प्रवासी श्रमिक जो देश के 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में होने की सूचना मिली है, उनके द्वारा बताई गई समस्याओं का त्वरित निदान करते हुए उनके लिए भोजन, राशन, नगद, नियोजकों से वेतन तथा रहने एवं चिकित्सा आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। इसके साथ ही श्रम विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर विभिन्न औद्योगिक संस्थाओं, नियोजकों एवं प्रबंधकों से समन्वय कर (राशन एवं नगद) आदि की व्यवस्था भी की जा रही है। इनमें एक हजार 993 श्रमिकों को 3 करोड़ 28 लाख 9 हजार 997 रूपए बकाया वेतन का भुगतान कराया वहीं विभिन्न औद्योगिक संस्थानों-कारखानों के श्रमिकों से प्राप्त शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही करते हुए परीक्षण पश्चात 1065 श्रमिकों को एक करोड़ 25 लाख 20 हजार 835 रूपए का भी बकाया वेतन भुगतान कराया गया है।

इसके साथ ही रायपुर जिले में स्थित विभिन्न औद्योगिक संस्थानों-कारखानों के नियोजकों, प्रबंधकों से समन्वय कर 12 हजार 854 कर्मचारियों-श्रमिकों को 14 करोड़ 7 लाख 72 हजार 594 रूपए का वेतन भुगतान कराया गया है। लाॅकडाउन के द्वितीय चरण में 21 अप्रैल से शासन द्वारा छूट प्रदत्त गतिविधियों एवं औद्योगिक क्षेत्रों में लगभग 67 हजार 157 श्रमिकों को पुनः रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वहीं छोटे-बड़े 693 कारखानों में पुनः कार्य प्रारंभ हो गया है।

श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि लाॅकडाउन के कारण छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो देश के अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं, इनमें जम्मू में सबसे अधिक 25 हजार 207, महाराष्ट्र में 20 हजार 176, उत्तरप्रदेश में 13 हजार 837, तेलांगना में 15 हजार 94, गुजरात में 9 हजार 584, कर्नाटक में 3 हजार 459, तमिलनाडु में 3 हजार 214, मध्यप्रदेश में 3 हजार 70, आंध्रप्रदेश में 2 हजार 566, हरियाणा में 2 हजार 200, हिमाचल प्रदेश में एक हजार 687, ओडिशा में एक हजार 665, राजस्थान में एक हजार 205, पंजाब में एक हजार 127, झारखण्ड में 599, केरल में 518, बिहार में 242, उत्तराखण्ड में 241, पश्चिम बंगाल में 206 तथा दिल्ली में 2 हजार 208 श्रमिक है।

अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के श्रमिक जो अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं, उनमें जांजगीर-चांपा जिले के सबसे अधिक 28 हजार 29, बलौदाबाजार जिले के 20 हजार 444 श्रमिक, राजनांदगांव के 9 हजार 567, मुंगेली के 9 हजार 81, कबीरधाम के 7 हजार 749, बिलासपुर के 7 हजार 928, बेमेतरा के 6 हजार 874, कोण्डागांव के 6 हजार 182, रायगढ़ के 2 हजार 254, बीजापुर के 2 हजार, रायपुर एक हजार 584, दुर्ग के एक हजार 187, जशपुर के एक हजार 10, गरियाबंद के एक हजार 15, बालोद के 718, महासमंुद के 626, बलरामपुर के 568, कोरबा में 510, सूरजपुर के 477, सरगुजा के 186 और धमतरी जिले के 162 श्रमिक अन्य राज्यों में फंसे हुए हैं।

श्रम विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ से बाहर रह रहे 13 हजार 613 श्रमिकों की आर्थिक दिक्कतों की सूचना प्राप्त होने पर तत्कालिक व्यवस्था स्वरूप उनके खातों में 50 लाख 37 हजार रूपए नगद राशि जमा कराए गए हैं। इनमें मुंगेली जिले के 6 हजार 441 श्रमिकों को तत्कालिक व्यवस्था के लिए उनके खातों में 9 लाख 67 हजार 6 सौ रूपए जमा कराए गए हैं। इसी प्रकार बेमेतरा के 4 हजार 886 श्रमिकों को 21 लाख 63 हजार एक सौ रूपए, दुर्ग जिले के 775 श्रमिकों को 8 लाख 2 हजार 5 सौ रूपए, कोरिया जिले के 632 श्रमिकों के खाते में 3 लाख 16 हजार सौ रूपए, कबीरधाम जिले के 482 श्रमिकों के खातों में 4 लाख 82 हजार रूपए और राजनांदगांव जिले के 194 श्रमिकों के खातों में 97 हजार रूपए जमा कराया गया है।

इसी तरह सूरजपुर जिले के 125 श्रमिकों के खातों में त्वरित सहायता के रूप में एक लाख 57 हजार रूपए, रायगढ़ जिले के 30 श्रमिकों के खातांे में 15 हजार रूपए, जाजंगीर-चांपा के 29 श्रमिकों के खातों में 19 हजार रूपए, गरियाबंद जिले के 14 श्रमिकों के खातों में 12 हजार एक सौ रूपए, कोरबा और सुकमा जिले के 2-2 श्रमिकों के खातों में क्रमशः 4 हजार और एक हजार रूपए तथा बलरामपुर जिले के एक श्रमिक के खाते में एक हजार रूपए जमा कराया गया है।

श्रम विभाग के सचिव एवं नोडल अधिकारी सोनमणि बोरा के मार्गदर्शन में राज्य एवं राज्य के बाहर फंसे जरूरत मंद श्रमिकों को श्रम विभाग के अधिकारियों एवं जिला प्रशासन द्वारा अन्य राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों, नियोक्ताओं, प्रबंधकों एवं संबंधित श्रमिकों से समन्वय कर भोजन, रहने-खाने, चिकित्सा सहित अन्य आवश्यकताओं और समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। साथ ही कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) के माध्यम से अब तक प्रदेश में 42 क्लीनिक संचालित है। जिसमें 33 हजार 495 श्रमिकों का उपचार कर दवा आदि का वितरण किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि राज्य स्तर पर 24ग्7 हेल्पलाईन (0771-2443809), (91098-49992), (75878-22800) स्थापित किया गया है। इसी प्रकार समस्त 27 जिलों में भी हेल्पलाईन नम्बर स्थापित किये गये है।

 

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