नई दिल्ली : मार्च तिमाही में भारत की कृषि वृद्धि दर में गिरावट

नई दिल्ली : वित्त वर्ष 2017-18 की जनवरी से मार्च तिमाही में भारत की कृषि वृद्धि दर गिरकर 4.5 फीसदी रह गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 7.1 फीसदी थी। जोरदार उत्पादन के बावजूद ऐसा हुआ, क्योंकि पिछले साल आधार बहुत ज्यादा था। कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में 4.5 फीसदी की वृद्धि दर साल के हिसाब से ज्यादा है, लेकिन यह इतना अधिक नहीं है कि कुल मिलाकर कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पूरे वित्त वर्ष 2017-18 में 4 फीसदी से ऊपर जा सके।
कृषि वृद्धि दर गिरकर 4.5 फीसदी रह गई
2017-18 में पूरे साल के दौरान कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में वृद्धि दर 3.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था, जो 2016-17 में 6.3 फीसदी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मॉनसून 2018 में भी सामान्य रहता है तो भारत की कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में वृद्धि दर 4 फीसदी पर पहुंच सकती है। आधिकारिक बयान में कहा गया है, श्खाद्यान्न उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान में 2017-18 में 2795.1 लाख टन उत्पादन का अनुमान था, जो खाद्यान्य उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान 2774.9 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। 2016-17 कृषि वर्ष में उत्पादन का अंतिम अनुमान में 2751.1 लाख टन था।
2016-17 में 6.3 फीसदी थी
बहरहाल आंकड़ों से पता चलता है कि मौजूदा भाव पर 2017-18 में कृषि एवं संबंधित क्षेत्रों में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है, जो 2016-17 के 11.6 फीसदी की तुलना में कम है। मौजूदा भाव पर जीवीए में तेज गिरावट से कृषि उत्पादों पर महंगाई के असर का पता चलता है, जो तिलहन, दलहन और कपास जैसे कृषि उत्पादों के कम दाम की वजह से 2014-15 से लगातार घट रही है। कृषि उत्पादों के मूल्य में गिरावट पिछले 4 साल की नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है, जिसकी वजह से ज्यादा उत्पादन के बावजूद किसानों को लाभ नहीं मिल सका है। तिहलन, दलहन के साथ नकदी वाली बागवानी फसलों के दाम में गिरावट के कारण 2017 में देश के कई इलाकों में जोरदार प्रदर्शन हुए हैं। 2017 में मॉनसून सामान्य रहने की वजह से खाद्यान्न के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।