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नईदिल्ली : गाड़ी कबाड़ में बेचने पर भी लगेगा जीएसटी

नई दिल्ली : महाराष्ट्र अथॉरिटी ऑफ अडवांस रूलिंग ने फैसला सुनाया है कि बिजनस में इस्तेमाल होने वाली गाड़ी कितनी भी पुरानी क्यों न हो, अगर उसे कबाड़ में बेचा जाता है तो बिक्री बिजनस बढ़ाने के मकसद से की गई सप्लाई मानी जाएगी और उस पर जीएसटी लगेगा। पुरानी गाडिय़ों पर जीएसटी को लेकर बीते एक साल से चले आ रहे विवादों के बीच पिछले हफ्ते आए इस फैसले से सरकार की वीइकल स्क्रैप पॉलिसी को भी झटका लग सकता है।

महाराष्ट्र अथॉरिटी ऑफ अडवांस रूलिंग ने फैसला सुनाया है

फिलहाल पुरानी गाड़ी की बिक्री पर 12 से 18 पर्सेंट तक जीएसटी है, जो पहले 28 पर्सेंट हुआ करती थी। लेकिन ऐसा उन पुरानी गाडिय़ों के लिए है, जो आगे इस्तेमाल के लिए बेची जाती हैं। स्क्रैप के लिए बेचने पर टैक्स को लेकर कन्फ्यूजन था।
जीएसटी लिटिगेशन एक्सपर्ट सुशील वर्मा ने बताया कि सीएमएस इन्फो सिस्टम्स की अपील पर हुई सुनवाई में अथॉरिटी ने माना कि उसकी गाड़ी का इस्तेमाल कैश ढोने या मैनेज करने में किया जा रहा था

स्क्रैप के लिए बेचने पर टैक्स को लेकर कन्फ्यूजन था

और कबाड़ में बेचने के बाद मिले पैसे को दोबारा बिजनस में ही लगाया जाएगा। इस तरह यह रकम बिजनस को आगे बढ़ाने वाली सप्लाई में शामिल मानी जाएगी और उस पर जीएसटी लगेगा। उन्होंने कहा कि अथॉरिटी ने जीएसटी ऐक्ट के सेक्शन 7 के हवाले से सप्लाई की व्याख्या देते हुए यह फैसला सुनाया है और इससे किसी भी तरह के बिजनस में इस्तेमाल होने वाली गाडिय़ों पर यह लागू होगा।

बिजनस को आगे बढ़ाने वाली सप्लाई में शामिल मानी जाएगी और उस पर जीएसटी लगेगा

अथॉरिटी का फैसला ऐसे समय आया है, जब केंद्र सरकार 15 साल पुरानी गाडिय़ों को स्क्रैप में बेचकर नई गाड़ी खरीदने पर टैक्स में छूट देने की बात कर रही है। ऐसे में कबाड़ में गाड़ी बेचने पर जीएसटी लगने से नई गाड़ी की खरीद पर मिली छूट का फायदा कम हो सकता है और स्कीम का आकर्षण घट सकता है।ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि सेकंड हैंड इस्तेमाल के लिए बिकने वाली गाडिय़ों के मौजूदा रेट पर ही अगर स्क्रैप पर टैक्स लगेगा तो लोग स्क्रैपिंग को आगे नहीं आएंगे और स्कीम को झटका लगेगा।

कबाड़ में गाड़ी बेचने पर जीएसटी लगने से नई गाड़ी की खरीद पर मिली छूट का फायदा कम हो सकता है

एक बड़ी दिक्कत यह आएगी कि कबाड़ में खरीदने वाली फर्में या स्क्रैप डीलर आम तौर पर जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं होते और ऐसे में बेचने वाले पर ही रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी आएगी। जनवरी तक सवारी और कमर्शियल पुरानी गाडिय़ों पर 28 पर्सेंट जीएसटी था, जिसे इंडस्ट्री की मांग पर घटाकर अलग-अलग गाडिय़ों पर 12 से 18 पर्सेंट कर दिया गया था।

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