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सरकारी अस्पतालों में अफरा-तफरी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की नई पहल

रायपुर

छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में दवा खत्म होने के बाद मचने वाली अफरा-तफरी और भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग नई पहल करने जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग एक ऐसा साफ्टवेयर तैयार करा रहा है, जिसमें अस्पतालों में दवा खत्म होने की सूचना सीधे मंत्रालय में बैठे अधिकारियों को मिल जाएगी।

स्वास्थ्य सचिव निहारिका बारिक ने बताया कि एक साफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के सभी छोटे-बड़े अस्पतालों को आनलाइन जोड़ा जाएगा। डैशबोर्ड के माध्यम से दवाओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जहां दवा का स्टाक खत्म होने वाला है, वहां अस्पताल को अलर्ट भी जारी हो जाएगा।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकारी अस्पताल में दवाओं की कमी का हवाला देकर कालाबाजारी होती है। दवाओं का सही आंकलन नहीं होने के कारण स्थानीय स्तर पर खरीदी करनी होती है, जिसमें भ्रष्टाचार का मामला सामने आता है। अब अस्पताल में दवाओं का सही आंकलन किया जाएगा, जिससे स्थानीय स्तर पर खरीदी करने की जरूरत न पड़े।

यही नहीं, आनलाइन सिस्टम होने से अगर किसी अस्पताल में दवा खत्म हो जाती है, तो पड़ोस के अस्पताल में उपलब्धता के आधार पर दवा को भेजा जा सकेगा। ऐसा करने से स्थानीय खरीदी पर रोक लग जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि साफ्टवेयर तैयार होने के बाद अस्पताल के कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

दवाओं की विश्वसनीयता बढ़ाने की तैयारी

छत्तीसगढ़ में छोटी-छोटी कंपनियों की दवा खरीदने के कारण अंखफोड़वा कांड जैसी घटनाएं होती है। अब स्वास्थ्य विभाग बड़ी कंपनियों की जेनरिक दवाओं की खरीदी करेगा। बताया जा रहा है कि बड़ी कंपनियां भी 40 फीसदी जेनरिक दवाओं का निर्माण करती है। ऐसे में मरीजों में भरोसा जगाने और सही इलाज के लिए बड़ी कंपनियों की दवाओं की सरकारी खरीदी होगी। बारिक ने बताया कि दवा खरीदी के लिए टेंडर होता है, जिसमें सभी कंपनियां भाग लेती है। सरकार जेनरिक दवाओं की ही खरीदी करती है।

– प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में दवाओं की कमी के कारण मरीजों को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है। इस सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए सभी अस्पतालों को आनलाइन जोड़ा जाएगा। यह साफ्टवेयर तीन से चार महीने में तैयार हो जाएगा। – टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़

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