
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर ज़िले और तेलंगाना की सीमा पर मौजूद कर्रेगुट्टा की पहाड़ी आज जंग के मैदान में बदल चुकी है। बुधवार सुबह तड़के जैसे ही सुरक्षाबलों ने ‘ऑपरेशन संकल्प 2025’ को अंजाम दिया, जंगल गूंज उठा गोलियों की आवाज़ से – और 22 खूंखार माओवादी वहीं ढेर कर दिए गए।
अब तक 18 शव बरामद हो चुके हैं, लेकिन आंकड़ा यहीं थमने वाला नहीं। मुठभेड़ अभी भी जारी है, और अंदेशा है कि नक्सलियों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती है।
“घना जंगल, ऊंची पहाड़ियां और मौत की आहट!”
डीआरजी, कोबरा, एसटीएफ और सीआरपीएफ – देश के सबसे खतरनाक और साहसी बलों ने मिलकर ये कार्रवाई की है। हर कदम पर बिछे थे मौत के जाल – आईईडी, घात लगाए नक्सली – लेकिन भारतीय जवान पीछे नहीं हटे।
इस दौरान एसटीएफ के दो बहादुर जवान – थान सिंह और अमित पांडे – एक आईईडी ब्लास्ट की चपेट में आ गए। उन्हें रायपुर रेफर किया गया है। गंभीर चोटों के बावजूद ऑपरेशन रुका नहीं… बल्कि और तेज हो गया।
“दिल्ली से लेकर कर्रेगुट्टा तक – ऑपरेशन पर है देश की नजर!”
सीआरपीएफ के डीजी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह खुद दिल्ली से ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं। वहीं मैदान में एडीजी नक्सल ऑप्स विवेकानंद सिन्हा, सीआरपीएफ के आईजी राकेश अग्रवाल और बस्तर के आईजी सुंदरराज पूरे ऑपरेशन को मोनिटर कर रहे हैं।
सेना के हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भर रहे हैं – नज़र भी रख रहे हैं और जवानों को रसद भी पहुंचा रहे हैं।
“नक्सलवाद को अब मिलेगा करारा जवाब!”
कर्रेगुट्टा जैसे दुर्गम इलाकों में कार्रवाई करना आसान नहीं, लेकिन जिस तरह भारतीय सुरक्षा बलों ने वहां झंडा गाड़ा है – ये साफ संकेत है कि भारत अब किसी भी आतंकी सोच को बर्दाश्त नहीं करेगा – चाहे वो बॉर्डर पर हो या बॉर्डर के अंदर!
आपका क्या कहना है इस बड़ी कार्रवाई पर? क्या भारत अब नक्सलवाद पर निर्णायक चोट के करीब है? अपनी राय हमें कमेंट में ज़रूर बताएं!