यह एक शब्द कांग्रेस के लिए साबित हुआ मास्टरस्ट्रोक,छत्तीसगढ़ में परिवर्तित कर दी सत्ता

नमस्कार दोस्तों 4RTH EYE न्यूज़ में आप सभी का बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तों इस साल के अंत में हमारे प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसके ठीक पहले आप देख भी सकते हैं कि किस तरह से विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं हर चुनाव में कोई भी पार्टी किसी एक टैगलाइन के साथ काम करती है इस टैगलाइन के साथ काम करने का मतलब यह होता है कि जनता को सीधे तौर पर पार्टी की विचारधारा से जोड़ा जाए और कहीं ना कहीं एक छवि बनाने की कोशिश की जाए जिससे कि जनाधार उनके पक्ष में लाया जा सके पिछले चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस तरह से छत्तीसगढ़ कांग्रेस की एक टैगलाइन में उसके 15 सालों का वनवास काटने में एक बड़ी भूमिका निभाई।
साल 2003 के बाद से प्रदेश में जितने भी चुनाव हुए थे उसमें कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी थी बीजेपी की आंधी में कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने अपनी सीटें हारी विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत कम हुआ लिहाजा 2003 से 2018 तक कांग्रेस का ग्राफ बुरी तरह से प्रदेश की राजनीति में गिरा यहां तक कि खुद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद बहुत कम थी कि 2018 में एक तिहाई बहुमत के साथ वह प्रदेश में अपनी सरकार बनाने में कामयाब होगी लेकिन ऐसा हुआ और उसके पीछे एक बड़ी वजह कांग्रेस के प्रचार सामग्री में शामिल एक टैगलाइन थी यह टैग लाइन थी परिवर्तन।
जी हां 2017 से ही कांग्रेस ने 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए इस टैगलाइन को जनता के बीच प्रचारित करना शुरू किया उस दौरान प्रदेश का सबसे बड़ा कांग्रेस मुख्यालय राजभवन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शंकर नगर में निर्मित हो रहा था और पुरानी कांग्रेस भवन जो कि रायपुर के ही रंग मंदिर के ठीक बगल में है वह गांधी मैदान से लेकर भवन तक कांग्रेस नेताओं के निवास तक यहां तक की राजधानी के चौक चौराहों पर मुख्य जगहों पर जहां पर लोग बैठ सकते हैं हर जगह कांग्रेस ने एक परिवर्तन पोस्टर को चस्पा किया अब इस परिवर्तन के पीछे की पृष्ठभूमि हम आपको बता देते हैं।
ऐसा नहीं था कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इस शब्द का इस्तेमाल कोई पहली बार किया हो आपको याद दिला दें कि जब 2013 में झीरम घाटी नक्सली हमला छत्तीसगढ़ में हुआ था उस दौरान कांग्रेस अपनी परिवर्तन यात्रा ही निकाल रही थी परिवर्तन का माने सत्ता का परिवर्तन से तो था ही लेकिन कांग्रेस कहीं कहना था कि प्रदेश के हालातों में भी परिवर्तन करना बहुत जरूरी हो गया था लिहाजा 2013 में पहली बार कांग्रेस ने जब परिवर्तन यात्रा निकाली तब जन-जन तक यही संदेश पहुंचाया गया कि छत्तीसगढ़ की स्थिति परिवर्तित करनी है और यही परिवर्तन 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने भरपूर भुनाया।
दरअसल प्रदेश में anti-incumbency की स्थिति भी बन गई थी यानी कि लोग एक ही चेहरे को देखकर एक ही सरकार को देख कर उठ गए थे ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि जब प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आए तब राजनीतिक विशेषज्ञों ने विभिन्न टीवी चैनलों और अखबारों में बात कही थी एंटी इनकंबेंसी का मतलब यह होता है कि लंबे समय से जब किसी क्षेत्र में किसी एक का वर्चस्व होता है तब लोग उसे देख देख कर बोर हो जाते हैं वह कोई नया चेहरा कोई नया बदलाव होते देखना चाहते हैं और यही बात कांग्रेस ने अपने चुनावी कैंपियन में परिवर्तन टैगलाइन के साथ शामिल की।
उदाहरण के लिए आपको हम राजधानी रायपुर के ही विधानसभाओं कल जिक्र करते हुए बता दें कि बीजेपी के पास यहां की चारों विधानसभाओं में उतारने के लिए कोई भी नया चेहरा नहीं था रायपुर दक्षिण को यदि छोड़ दें तो बची हुई 3 विधानसभाओं में बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल ने अपना कार्ड बचा लिया पश्चिम से राजेश मूरत बुरी तरह से हार गए ग्रामीण से बीजेपी ने हारे हुए प्रत्याशी नंदकुमार साहू पर फिर से दांव खेलकर अपने ही सर पीटा तो वही उत्तर से श्रीचंद सुंदरानी को दोबारा मौका देना बीजेपी के लिए एक बड़ी किरकिरी साबित हुआ।
इसके ठीक इतर यदि हम देखें तो कांग्रेस ने बीजेपी की इन्हीं रिपीट चेहरों को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया और जनता के बीच ही संदेश पहुंचाया कि यह जनप्रतिनिधि अब पुराने हो चुके हैं कुछ नया करने के लिए उनके पास कुछ है नहीं और ना ही उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ बेहतर आपके लिए किया है लिहाजा कांग्रेस के प्रेस चेहरे सभी विधानसभाओं में उतारे और इसका सीधा फायदा उसे वोटिंग के बाद देखने को मिला कांग्रेस का यह परिवर्तन 2018 विधानसभा चुनाव में मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ।
तू तू जहां भी जाता है कि बदलाव प्रकृति का नियम है यह सतत प्रक्रिया है जिस तरह से नदी का बहता पानी जब बदलते रहता है तब पानी स्वच्छ होता चला जाता है और यह बात कांग्रेस में बहुत गहराई से समझें मगर बीजेपी कहीं न कहीं इस बात को समझने में नाकाम रहे बहरहाल इस साल भी प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं खबर मिल रही है कि बीजेपी इस बार कांग्रेस की परिवर्तन को अपने कैंपेन में भी शामिल करने की योजना बना रही है और सभी विधानसभाओं में नए और युवा चेहरों को मौका देने पर मंथन भी शुरू हो चुका है मगर क्या आपको लगता है कि कांग्रेस इस बार फिर परिवर्तन करेगी या फिर वह बीजेपी की ही रास्ते पर चलते हुए दोबारा अपने प्रत्याशियों को रिपीट करेगी और क्या आप मानते हैं कि सिर्फ सत्ता परिवर्तन ही नहीं बल्कि चेहरों का नई जिम्मेदारियों काफी परिवर्तन होना चाहिए और यह किसी पार्टी के लिए हितकारी होता है बीजेपी और कांग्रेस में इस विधानसभा चुनाव में आप किस तरह का परिवर्तन देखना चाहेंगे ।