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अब पक्के घर में है सुकून की छांव: बैगा बाहुल्य ग्राम कोयलारी में विकास की नई तस्वीर

रायपुर। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का असर अब उन दूर-दराज़, वनवासी और पहाड़ी इलाकों तक भी पहुंचने लगा है, जहां कभी मूलभूत सुविधाएं भी सपना लगती थीं। कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखंड के कोयलारी गांव में रहने वाले सुध्धू बैगा की कहानी इसकी एक जीवंत मिसाल है।

विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय से आने वाले सुध्धू पहले अपने परिवार के साथ एक कच्चे, झोपड़ी जैसे मकान में रहते थे। बरसात के दिनों में टपकती छत, चारों तरफ सीलन, जंगली जानवरों और सांप-बिच्छुओं का डर – यही उनका जीवन था। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने उनका जीवन बदल दिया।

जब आवास के लिए नाम स्वीकृत हुआ, तो पूरे परिवार की आंखों में उम्मीद की चमक दिखने लगी। पहली किश्त के रूप में 40,000 रुपये खाते में आए और जैसे ही निर्माण शुरू हुआ, धीरे-धीरे सभी किश्तों की राशि मिलती गई। कुल मिलाकर 2 लाख रुपये की सहायता से उनका पक्का घर तैयार हो गया – अब न बारिश की चिंता, न अंधेरे की दहशत।

रोज़गार से लेकर राशन तक, हर योजना ने दिया सहारा

केवल आवास ही नहीं, कई योजनाओं का समेकित लाभ सुध्धू और उनके परिवार को मिला। मनरेगा के तहत 95 दिन का काम मिला, जिससे करीब 23,085 रुपये की मजदूरी सीधे खाते में आई। नल-जल योजना से अब घर में शुद्ध पानी है, स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय मिला है, और आयुष्मान भारत योजना से इलाज की सुविधा भी।

किसान सम्मान निधि से आर्थिक सहायता, जनधन योजना से बैंक खाता, राशन योजना से खाद्यान्न, और किसान क्रेडिट कार्ड तथा श्रम कार्ड जैसी योजनाओं ने उनके जीवन को आत्मनिर्भर बना दिया है।

सुध्धू की पत्नी सतली बाई को महतारी वंदन योजना के तहत हर माह 1,000 रुपये मिलते हैं – अब तक 16,000 रुपये की सहायता प्राप्त हो चुकी है, जिससे घर की छोटी-बड़ी जरूरतें आसानी से पूरी हो रही हैं।

“अब चिंता नहीं, सिर्फ सुकून है”

सुध्धू भावुक होकर कहते हैं, “पहले चिंता और डर के बीच जिंदगी कटती थी, अब पक्के घर में चैन की नींद आती है। हमारे जैसे लोगों के लिए ये योजनाएं किसी वरदान से कम नहीं हैं।”

वह सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार जताते हुए कहते हैं – “अब जीवन पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुखद हो गया है।”

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