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अब मैं भी मारी जाऊंगी?” – अखिलेश को ओपन लेटर में पूजा पाल का सीधा आरोप

समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर सीधे तौर पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। विधानसभा में सीएम योगी की तारीफ करना पूजा को भारी पड़ गया—पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। लेकिन अब पूजा ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सोशल मीडिया पर एक ओपन लेटर शेयर किया है, जिसमें उन्होंने खुद के हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया है—वो भी सपा नेतृत्व पर।

“मेरे साथ कुछ हुआ, तो जिम्मेदार अखिलेश यादव होंगे”

पूजा पाल ने X (पूर्व ट्विटर) पर दो पन्नों का ओपन लेटर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा है—

“अगर मेरे साथ कोई अनहोनी होती है तो उसके लिए **समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।”

उन्होंने अपने पति राजू पाल की हत्या का ज़िक्र करते हुए दावा किया कि वैसा ही प्लान अब उनके लिए भी बनाया जा रहा है।

पार्टी से निकाले जाने पर उठाए सवाल

अपने पत्र में पूजा पाल ने पार्टी से निष्कासन पर भी गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने लिखा:

“कम से कम मेरा पक्ष तो सुना जाता! अगर बीजेपी प्रत्याशी को वोट देना गुनाह था, तो फिर आपने खुद दिल्ली के कांस्टिट्यूशनल क्लब के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को वोट क्यों दिया?”

पूजा ने इसे “राजनीतिक दोहरापन” करार दिया और आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी में

“एक विधवा, अति पिछड़ी जाति की महिला का सच बोलना गुनाह बन गया है।”

“सपा में पिछड़ों-दलितों की कोई जगह नहीं”

पूजा पाल का दावा है कि समाजवादी पार्टी में “मुस्लिम समुदाय के अपराधियों को खुलकर संरक्षण दिया जाता है, जबकि पिछड़े, अति पिछड़े और दलित नेताओं को हमेशा दूसरे दर्जे का दर्जा दिया जाता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि उनके पति के हत्यारों को सपा नेताओं ने खुलेआम समर्थन दिया—”सड़क से सदन तक उनके पक्ष में आवाज़ उठाई गई।”

“BJP में गुनहगार सजा पाते हैं”

पूजा पाल ने बीजेपी सरकार की कानून व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा—

“बीजेपी में चाहे जितना बड़ा अपराधी हो, उसे सजा मिलती है। मेरे पति के हत्यारे को भी इसी शासन में सजा मिली।”

राजू पाल हत्याकांड: जहां से शुरुआत हुई

2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड ने प्रयागराज की राजनीति को हिला कर रख दिया था।
बसपा विधायक राजू पाल को अतीक अहमद के भाई अशरफ के गुर्गों ने दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया था।
शादी के महज 10 दिन बाद विधवा हुईं पूजा पाल ने तब से अब तक अपने पति के न्याय की लड़ाई लड़ी है—और अब खुद को खतरे में बता रही हैं।

क्या सपा में सच बोलना बगावत है?

पूजा पाल का पत्र सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक राजनीतिक आरोप पत्र है। सवाल ये है कि क्या समाजवादी पार्टी सच बोलने वालों को निकालने का फैसला करती है, या फिर यह सिर्फ एक महिला, पिछड़ी जाति और न्याय की मांग करने वाली आवाज को दबाने की कोशिश है?

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