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धान खरीदी से बदली किसान की तक़दीर, भरोसे की फसल बनी सरकार की नीति

छत्तीसगढ़ की धान खरीदी नीति अब सिर्फ सरकारी प्रक्रिया नहीं, बल्कि किसानों के आत्मसम्मान और भरोसे की मजबूत मिसाल बनती जा रही है। इस साल की खरीदी ने यह साबित किया है कि जब नीति और व्यवस्था जमीन पर सही उतरती है, तो उसका सीधा लाभ किसान के जीवन में दिखता है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के ग्राम सिरियागोड़ निवासी किसान मंगल सिंह की कहानी इसी बदलाव को बयां करती है।

खेती ही मंगल सिंह की आजीविका का एकमात्र साधन है। हर साल की तरह इस बार भी उन्होंने मेहनत से धान की फसल तैयार की, लेकिन मौसम की अनिश्चितता और बढ़ती लागत ने चिंता जरूर बढ़ाई थी। ऐसे में सरकार द्वारा प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान खरीदी और 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की घोषणा ने उन्हें राहत और भरोसा दिया।

डिजिटल टोकन मिलने के बाद मंगल सिंह चैनपुर उपार्जन केंद्र पहुंचे, जहां उन्हें पूरी तरह सुव्यवस्थित और किसान-अनुकूल व्यवस्था देखने को मिली। बैठने की सुविधा, पीने का पानी, सहयोगी कर्मचारी और डिजिटल तौल कांटों से सटीक माप-तौल ने प्रक्रिया को आसान बना दिया। फोटो अपलोड के जरिए सत्यापन से पारदर्शिता भी साफ नजर आई।

मंगल सिंह ने कुल 80 क्विंटल धान का विक्रय किया। न लंबी कतारें लगीं, न बार-बार इंतजार करना पड़ा और न ही किसी तरह की परेशानी हुई। सबसे बड़ी राहत यह रही कि धान विक्रय की पूरी राशि समय पर सीधे उनके बैंक खाते में पहुंच गई। इससे उन्हें आर्थिक सुरक्षा का भरोसा मिला और अब वे बच्चों की पढ़ाई, घरेलू जरूरतों और रबी फसल की तैयारी बिना चिंता कर पा रहे हैं।

मंगल सिंह का कहना है कि पहले तौल और भुगतान को लेकर मन में शंकाएं रहती थीं, लेकिन इस वर्ष की व्यवस्था ने उनका नजरिया पूरी तरह बदल दिया। उन्होंने विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लागू पारदर्शी और किसान-हितैषी खरीदी व्यवस्था के लिए सरकार के प्रति आभार जताया।
मंगल सिंह की यह कहानी सिर्फ एक किसान की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के हजारों किसानों की उम्मीद, विश्वास और आत्मनिर्भरता की तस्वीर है, जो दिखाती है कि सही नीतियों से किसान का भविष्य सचमुच सुरक्षित हो रहा है।

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