
बटंग : लंबे इंतजार के बाद अंतत: हरेली का त्यौहार आ ही गया। हमारे गांव बटंग के मनीष कुमार (भोला ) खोमलाल,कोमल,देवेंद ठाकुर,अंकीत वर्मा गांव के आदि लोगो के अनुसार ग्रामीण संस्कृति में रचा हरेली पर्व मूलत: किसानों का पर्व है। सुबह से ही किसानों एवं उनके परिजनों खेतों में पहुंचकर सर्वप्रथम कृषि औजारों का पूजन किया। साथ ही कृषि का आभार स्तंभ बैल जोड़ी की विधिवत पूजा कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया.
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गांव के बच्चों द्वारा गेंड़ी दौड़ का आयोजन किया गया बटंग के मैदान मे खेले गए । पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग एवं द्वापरयुग में भी कृषि औजारों और बैल जोड़ी की पूजा कर कृषि कार्य करने का उल्लेख पुराणों में मिलता है। आज शनि अमावस्या होने के कारण हरेली के त्यौहार का विशेष महत्व है। अंधविश्वास के अनुसार आज के दिन ही टोना-टोटका, कालाजादू आदि कर दुश्मन को वश में करने की मान्यता भी है.
इस हेतु बच्चों की टोली सुबह से ही नीम पत्ती बाटंते घरों-घरों दिखी। गांव के प्राचीन मोहल्लों में लोहारों द्वारा घर के मुख्यद्वार पर लोहे का खीला ठोंककर घर को सुरक्षित करने का कार्य सर्व प्रथम किया गया। विदित हो की हरेली से ही छत्तीसगढ़ में त्यौहारों की शुरुआत होती है.