चुनावी चौपालदेश

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले से देशभर में आरक्षण का ज‍िन्न बोतल से आ सकता है बाहर

Big Reservations movement in the Modi government लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सोमवार को कैबिनेट बैठक में सवर्ण जातियों के लिए 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया गया है. इस फैसले के बाद अब देशभर में आरक्षण का ज‍िन्न बोतल से बाहर आ सकता है. आइये जानते हैं देश के 6 बड़े आरक्षण आंदोलन के बारे में, ज‍िसने देश को ह‍िला द‍िया.

द‍िसंबर 2018 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में उग्र भीड़ के पुलिस टीम पर पथराव में एक सिपाही सुरेश वत्स की मौत के बाद 11 लोगों को ग‍िरफ्तार करना पड़ा था. पुलिस ने 100 लोगों के ख‍िलाफ FIR दर्ज की है जिसमें 32 लोग नामजद थ. ये पथराव उस वक्त हुआ जब लोग पीएम मोदी की रैली से लौट रहे थे और उन पर आरक्षण की मांग कर रहे निषाद समाज के लोगों ने पथराव क‍िया. सूबे में निषाद पार्टी की बुनियाद संजय निषाद ने साल 2013 में रखी थी. संजय निषाद इन्हीं जातियों को संगठित कर अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हैं. वे सबसे पहले सुर्खियों में तब आए जब 7 जून, 2015 को गोरखपुर से सटे सहजनवा क्षेत्र के कसरावल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया था.

राजस्थान में जाट आंदोलन

जाट समुदाय अपने उग्र रूप के लिए जाना जाता है.  फरवरी 2016 में पूरे देश ने समुदाय का यह भयानक रूप देखा था. जाटों को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर शुरू हुआ आरक्षण आदोलन पहले तो शांतिपूर्ण तरीके से चला लेकिन जैसे-जैसे समय बढ़ता गया, हिंसा भी बढ़ती गई. करीबन 15 दिन तक चले इस आंदोलन में हरियाणा में जमकर हिंसा, आगजनी व तोड़-फोड़ हुई, रेलवे व बस सेवा पूरी तरह ठप्प हो गई. आंदोलन के दौरान करीब 30 लोगों की जान गई और राज्य को 34 हजार करोड़ रुपये की धनहानि हुई. फिर जब आंदोलन की यह आग पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पहुंचने लगी तो इसे काबू में करने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था.

राजस्थान में गुर्जर आंदोलन

राजस्थान का गुर्जर समुदाय अपने आंदोलन में रेलवे ट्रैक्स को निशाना बनाता रहा है. 2008 के आंदोलन के दौरान प्रदर्शन कर रहे गुर्जर आंदोलनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी की वजह से हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान 20 लोगों की मौत हुई थी. हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली व मुंबई के रेल रूट को ब्लॉक कर दिया था. 2015 में एक बार फिर हजारों प्रदर्शनकारियों ने कुछ रेलवे ट्रैक्स पर कब्जा किया, पटरियां उखाड़ीं व आगजनी की. हफ्तेभर चले इस आंदोलन में रेलवे प्रशासन को 200 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा था.

गुजरात में पाटीदार आंदोलन

2015 में गुजरात के पाटीदार समाज ने आंदोलन शुरू किए. आंदोलन ने हार्दिक पटेल जैसे पॉलिटिकल एक्टिविस्ट को जन्म दिया. हार्दिक पटेल ने सोशल मीडिया के जरिए कई रैलियों का आयोजन किया और युवाओं को सड़क पर उतरने के लिए प्रेरित किया. 15 जुलाई को शुरू हुए इस आंदोलन में 25 अगस्त को हार्दिक पटेल की अगुआई में अहमदाबाद में सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान गाड़ियों के साथ सार्वजनिक संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचाया गया. यह आंदोलन करीबन 2 महीने चला था.

आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय का ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन

उत्तर भारत की तरह ही दक्षिण भारत में भी आरक्षण को लेकर प्रदर्शन होते रहते हैं. आंध्र प्रदेश के कापू  समुदाय ने 2016 में ओबीसी दर्जे की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किए थे. राज्य में पूर्वी गोदावरी जिले में प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने रत्नाचल एक्सप्रेस के चार डिब्बों सहित दो पुलिस थानों को आग के हवाले कर दिया था. इस दौरान कई लोग व पुलिसकर्मी घायल हुए. प्रदर्शनकारियों ने बसों के साथ ही राहगीरों की गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया था.

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण

नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय के संगठनों ने महाराष्ट्र में कई बार आंदोलन किए. मराठाओं के सड़क पर उतरने के बाद सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास कर दिया. बिल के मुताबिक, राज्य में मराठाओं को 16% आरक्षण मिलेगा. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) ने मराठा समुदाय को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा करार दिया था. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 1 दिसंबर तक आरक्षण लागू करने के पहले ही संकेत दिए थे. बता दें कि प्रदर्शन के दौरान मराठा आंदोलनकारियों ने कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया. कई जगह लोगों ने चक्का जाम किया. कई इलाकों में प्रदर्शन हिंसक भी हो गया था. आरक्षण की मांग को लेकर एक युवक ने खुदकुशी भी कर ली थी. इसके बाद ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आरक्षण की घोषणा कर दी और ब‍िल पास भी हो गया.

गौरतलब है क‍ि लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फैसला किया गया है कि अब सवर्ण जातियों को 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा. ये आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को दिया जाएगा. बता दें कि 2018 में SC/ST एक्ट को लेकर जिस तरह मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था, उससे सवर्ण खासा नाराज बताया जा रहा था.

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