निजी स्कूलों ने कोविड को बनाया ‘आपदा में अवसर’, ऑनलाइन क्लास के नाम पर, पालकों से लाखों रुपए कर रहे वसूली

कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित अगर कुछ हुआ है तो वह शिक्षा है । छात्रों का भविष्य इस दौरान अंधकार में नजर आ रहा है । हालात यह हैं कि बच्चों का न सिर्फ रुटिन खराब हो चुका है, बल्कि उनके पढ़ाई की आदत छूट चुकी है । ऑनलाइन क्लास की वजह से बच्चों में मोबाइल के साथ-साथ इंटरनेट की लत लग चुकी है । इधर निजी स्कूल छात्रों के परिजनों पर आई इस आपदा में भी अवसर तलाश रहे हैं ।
खर्च कुछ नहीं, फीस पूरी लेने पर अड़े हैं स्कूल
ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर सभी तरह के निजी स्कूल अपनी पूरी फीस वसूल रहे हैं । और तो और जो स्कूल फीस में पहले एक्टिविटीज के नाम पर पालकों से शुल्क वसूलते थे, अब वे उस एक्टिविटी फीस को भी अपनी फीस में शामिल कर चुके हैं । जिसकी वजह से पालकों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है ।
इंटरनेट सहित सभी खर्च पालक ही कर रहे हैं
बच्चों के पालक लगातार परेशान हैं । एक तरफ उन्हें अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है, दूसरी तरफ कोविड की वजह से आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है । । ऐसे में स्कूलों द्वारा उनसे पूरी फीस वसूला जाना मानवियता के खिलाफ भी नजर आता है । तब जबकि पालक इंटरनेट सहित तमाम खर्च का वहन खुद ही कर रहे हैं । लेकिन एक भी दिन स्कूल न लगने के बावजूद, ऑनलाइन क्लास के नाम से 50 हजार से लेकर 2-3 लाख रुपए की फीस परिजनों से वसूली जा रही है ।
बच्चों में इंप्रूवमेंट भी शून्य, पर फीस लाखों रुपए देनी होगी
निजी स्कूलों में बच्चों को डालने के पीछे चालकों का उद्देश्य होता है कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल में जाएगा, अच्छी शिक्षा ग्रहण करेगा, अच्छा माहौल उसे मिलेगा, वह अच्छा फ्यूचर बना पाएगा, उसका मानसिक सामाजिक दायरा अच्छा होगा । लेकिन पिछले करीब डेढ़ साल से ना तो बच्चों की पढ़ाई ठीक से हो रही है, ना ही पालको अपने बच्चे में कोई इंप्रूवमेंट नजर आ रहा है । उल्टे इस लॉकडाउन और ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों में चिड़चिड़ापन लगातार बढ़ता जा रहा है ।
फीस नहीं तो बंद कर दी बच्चों की आईडी
अगर बड़े स्कूलों की बात करें तो स्कूल लगातार फीस के लिए पालकों पर दबाव बना रहे हैं और तो और जो पालक बच्चों की फीस जमा नहीं की । उनके बच्चे का ऑनलाइन क्लास बंद कर दिया गया है । ऐसे में पालकों के सामने दो ही रास्ते हैं । पहला वह निजी स्कूलों की जो मनमानी फीस है उसको भरे । दूसरा अपने बच्चे के भविष्य को दांव पर लगाकर कानून का दरवाजा खटखटाते रहें ।
टीचर्स की सैलरी आधी, खर्च सिर्फ मैनेजमेंट का, फिर भी पूरी फीस चाहिये
निजी स्कूलों की बात की जाए तो पिछले साल से लेकर अबतक कोविड के नाम पर स्कूलों ने अपने शिक्षकों की सैलरी में जरूर कटौती कर दी है, लेकिन ये राहत बच्चों के पालकों को नहीं दी जा रही । वहीं न तो इस दौरान कोई बड़ा खर्च स्कूलों द्वारा किया जा रहा है । क्योंकि शिक्षक भी अपने घर से ही बच्चों की ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं ।
सरकार को करनी चाहिये समीक्षा
कोविड की इस महामारी में जहां हर उद्योग धंधा चौपट है, रोजगार के रास्ते बंद हैं, ऐसे में एजुकेशन के नाम पर जो लूट पूरे देश में मची है, उससे पालकों को राहत दिलाने के लिए जरूरी है, कि निजी स्कूलों पर लगाम कसी जाए और स्कूलों के थोड़ा खर्च कर, ज्यादा वसूली के गोरखधंधे को बंद किया जाए ।
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