चुनावी चौपालदेश

Priyanka Gandhi का मास्टर स्ट्रोक, क्या दिला पाएगा यूपी में सीटें ?

उत्तर प्रदेश में हासिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस को प्रियंका गांधी मजबूत करने की हर कोशिश कर रही हैं. महिलाओं को लेकर प्रियंका गांधी पिछले छह महीने से ग्राउंड पर फ्रंट फुट पर हैं। लखीमपुर, हाथरस हो या फिर उन्नाव रेप कांड, हर जगह प्रियंका गांधी ने महिलाओं का पक्ष को मजबूती से उठाया है। अब विधानसभा चुनाव से पहले, महिलाओं को 40 प्रतिशत की भागीदारी देकर, प्रियंका गांधी ने सत्ता पक्ष सोचने पर मजबूर कर दिया है।

इस बड़े ऐलान के बाद 403 सदस्यों वाली विधानसभा में, कांग्रेस की ओर से 161 महिलाओं को टिकट दिया जाएगा। लेकिन प्रियंका गांधी का किया गया ये ऐलान अचानक नहीं है । बल्कि इसके लिए वे लंबे वक्त से काम कर रही थीं । पुरानी घटनाएं और महिला संबंधी मुद्दे में प्रियंका गांधी की सक्रियता ये बताती है कि यह सोची समझी रणनीति है।

  1. प्रियंका खुद महिला हैं और उत्तर प्रदेश में नेतृत्व कर रही हैं। इस कदम से महिलाओं का भरोसा बढ़ेगा।

2. प्रियंका उत्तर प्रदेश में खुलकर फैसले ले रही हैं। उनके साथ आने से महिलाओं की उम्मीदें बढ़ेंगी।

3. दूसरे मुद्दों को पीछे रख महिला प्रधान मुद्दों को हमेशा तरजीह दी। इससे महिलाएं उन्हें यूपी का चेहरा मानेंगी।

4. फिलहाल यूपी में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, और अगर प्रियंका के इस फैसले से, कुछ सीटों का इजाफा भी होता है, तो ये भी उनकी कामयाबी ही मानी जाएगी ।

अब आपको बताते हैं, प्रियंका गांधी की तैयारी के बारे में


लखीमपुर खीरी में प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवारों के घर की महिलाओं से बैठकर इत्मिनान से बात की और पीड़ा समझी। बाद में, मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पीड़ितों को न्याय मिलना चाहिए, वरना मेरे संघर्ष का कोई मतलब नहीं है।

लंबे घमासान के प्रियंका गांधी को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत मिली। इस दौरान राहुल गांधी भी उनके साथ रहे। यहां उन्होंने सबसे पहले लवप्रीत के परिवार से मुलाकात की।

जुलाई 2019 में सोनभद्र में जमीनी विवाद में 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी। शासन के आला अधिकारी मामले को दबाने में जुट गए। प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने पहुंच गईं। यहां भी शासन ने उनको मौके पर जाने से रोका। यहां तक कि चुनार गेस्ट हाउस में उनको अरेस्ट कर लिया गया, लेकिन वह नहीं मानी। मौके पर ही धरने पर बैठ गईं।

हाथरस में पीड़िता तक पहुंचने के लिए प्रियंका प्रशासन से भी भिड़ गईं। जिसके बाद प्रशासन को पीछे हटना पड़ा। आते हुए पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठियां चलाईं, तो प्रियंका खुद आगे आ गईं और पुलिस की लाठी पकड़ ली। अक्टूबर 2020 में हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और हत्या का मामला सामने आया था।

दिसंबर 2019 में उन्राव में रेप पीड़ित लड़की को आरोपियों ने आग के हवाले कर दिया था। 90 फीसदी तक जलने वाली लड़की ने इलाज के दौरान दिल्ली में दम तोड़ दिया। इस मामले में भी प्रियंका गांधी सबसे पहले पीड़ित परिवार के पास पहुंची थीं। इस मामले में उन्होंने प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा था, ‘पीड़िता के पूरे परिवार को पिछले एक साल से लगातार परेशान किया जा रहा था। लेकिन दोषियों को बचाने में पुलिस प्रशासन लगा था।

प्रियंका के फैसले के पीछे की यह है वजह

प्रियंका गांधी ने अपने फैसले को उत्तर प्रदेश की हर एक महिला के लिए बताया, जो बदलाव चाहती है। इसके साथ ही, महिलाओं के साथ ज्यादती के लिए चर्चा में रहे 5 जिलों का नाम भी लिया। उन्होंने कहा कि मेरा यह निर्णय प्रयागराज की पारो के लिए है। चंदौली की बेटी के लिए है। उन्नाव की बेटी के लिए है। रमेश चन्द्र की बेटी के लिए है। लखनऊ की एक वाल्मीकि समाज की लड़की के लिए है, जो बेरोजगार है और सोनभद्र की महिला के लिए है, जो न्याय चाहती है।

प्रियंका गांधी ने सियासी चाल तो अच्छी चली है, लेकिन अब देखना होगा कि यूपी की महिलाएं क्या उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी। या एक बार फिर उत्तरप्रदेश में कांग्रेस खाली हाथ ही रहेगी । इस खबर पर आप क्या सोचते हैं अपने विचार जरूर रखें, क्योंकि आपके यही विचार दूसरों को भी राय बनाने में मदद करते हैं ।

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