
छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में हसदेव के जंगलों की कटाई का विरोध धीरे धीरे, पूरे प्रदेश में फैलता जा रहा है । जमीन से लेकर सोशल मीडिया तक इसका खुलकर विरोध होने लगा है ।
सिर्फ यही नहीं, इसके विरोध में लोग न सिर्फ सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे हैं । बल्कि लोग शादियों में भी इसका विरोध करने लगे हैं । पिछले दिनों बिलासपुर में हुए एक विवाह समारोह में भी हसदेव की चिंता सार्वजनिक हो गई। विवाह की रस्मों के बीच दूल्हा-दुल्हन ने ‘सेव हसदेव’ और ‘हसदेव बचावा’ जैसे संदेश लिखे पोस्टर दिखाए ।
बिलासपुर के तखतपुर में भिलौनी के रहने वाले, उमेश कौशिक की शादी 11 मई को थी । बिलासपुर के पास हरदी कला की भगवती कौशिक से उनकी शादी थी । इसी दौरान सभी ने हसदेव बचाव की तख्ती लेकर मंच से संदेश दिया है ।
इधर परसा कोल ब्लॉक प्रभावित गांवों में धरना अब भी जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार इस परियोजना को वापस नहीं लेती, वे लोग नहीं जाएंगे। हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति का आरोप है कि उनके गांव और जंगल को फर्जी ग्राम सभा के आधार पर कोयला खनन के लिए आवंटित किया गया है । हालांकि इस मुद्दे पर सीएम भूपेश बघेल एक बड़ा संदेश पूरे देश को दे चुके हैं ।
आइए अब आपको हसदेव अरण्य विवाद के बारे में भी बताते हैं । हसदेव अरण्य छत्तीसगढ़ के उत्तरी कोरबा, दक्षिणी सरगुजा और सूरजपुर जिले के बीच में स्थित एक विशाल जंगल है । ये जंगल करीब एक लाख 70 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है । वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने 2021 में एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसके मुताबिक इस क्षेत्र में 10 हजार आदिवासी हैं । हाथी, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा जैसे जीव, 82 तरह के पक्षी, दुर्लभ प्रजाति की तितलियां और 167 प्रकार की वनस्पतियां पाई गई हैं ।
अब सरकार ने इसी इलाके में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला खदान आवंटित की है । इसके लिए 841 हेक्टेयर जंगल को काटा जाना है। वहीं दो गांवों को विस्थापित भी किया जाना है । 26 अप्रैल की रात प्रशासन ने चुपके से सैकड़ों पेड़ कटवा दिए। उसके बाद आंदोलन पूरे प्रदेश में फैल गया है ।