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विधानसभा : मानसून सत्र का आगाज,दिवंगत नेताओं को दी गई श्रद्धांजलि

रायपुर

छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र शुक्रवार को प्रारंभ हुआ. पहले सत्र में संतोष कुमार अग्रवाल, भीमा मंडावी और बलराम सिंह ठाकुर के निधन पर सदन ने शोक जताया.

स्पीकर डॉक्टर चरण दास महंत ने सबसे पहले दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि संतोष अग्रवाल समाजसेवी और धार्मिक क्षेत्रों में सक्रिय थे. सरपंच से लेकर विधायक तक कई पदों को सुशोभित किया. भीमा मंडावी के जाने से अपूरणीय क्षति हुई है. न केवल आदिवासी समाज मे बल्कि इस सदन के लिए भी ये अपूरणीय क्षति है. 30 साल की उम्र में विधायक बन गए. दुखद घटना घटी चुनाव के दौरान नक्सल घटना में उनकी मृत्यु हुई है. मिलनसार व्यक्तित्व के धनी रहे थे. ठाकुर बलराम सिंह इस सदन के दो बार सदस्य रहे. मुझे उनके साथ काम करने का अवसर मिला था. बेहद सहज, सरल, निमगा छत्तीसगढ़िया की उनकी पहचान रही है.

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि संतोष अग्रवाल की सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति के तौर पर उनकी छवि थी. भीमा मंडावी इस सदन के सदस्य थे. मैं उनकी वीरता का कायल रहूंगा. समाज के अंतिम व्यक्ति तक अंत्योदय के लिए काम किया. वह वीरगाथा के नायक के तौर पर याद किये जाते रहेंगे. लोकतंत्र के महापर्व को चुनौती देने वालों की चुनौती उन्होंने स्वीकार की थी.

कौशिक ने कहा कि चुनाव प्रचार से लौटने के दौरान श्यामगिरी के करीब नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी. किसानो के लिए, वनवासियों के लिए भीमा मंडावी ने हमेशा लड़ाई लड़ी. मृदुभाषी रहे. विधायक दल के उप नेता के रूप में भीमा मंडावी ने काम किया. यदि वह आज होते थे, तो दंतेवाड़ा क्षेत्र के विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती. नक्सलियों की ओर से उन्हें कई बार धमकियां मिली लेकिन उन्होंने कभी परवाह नहीं की. क्षेत्र के लोगों की बेहतरी के लिए काम करते रहे. धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी बघेल के निधन का भी उल्लेख करते हुए सदन में श्रद्धांजलि दी.

जेसीसी विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा- मैं संतोष अग्रवाल, भीमा मंडावी और बलराम सिंह ठाकुर के निधन पर अपनी ओर से विन्रम श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूँ. संतोष अग्रवाल सामाजिक गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे. मृदुभाषी होने के कारण लोकप्रिय रहे…भीमा मंडावी सदन में मेरे करीब ही बैठते रहे. मैंने पाया कि बस्तर के आदिवासियों की कठिनाइयों को बेहतर समझते थे. उन कठिनाइयों के निराकरण के लिए प्रयत्नशील रहते थे. नक्सलवाद का सामना करते हुए ऐसी शहादत दी जो हमेशा स्मरण की जाती रहेगी.

जोगी ने कहा कि बलराम सिंह ठाकुर के जाने से बिलासपुर की राजनीति का एक बहुत मजबूत स्तम्भ गिर गया. बिलासपुर की राजनीति में बलराम सिंह जी के बिना कुछ भी सोचना सम्भव नहीं था. उनका व्यक्तित्व इस तरह से पूरे क्षितिज पर छाया हुआ था. चाहे राजनीति हो, नगर निगम हो, विधानसभा हो खासतौर पर सहकारिता के क्षेत्र में बहुत ऊंचाई तक पहुंचने वाले महापुरुष थे. वह बेहद मीठी छत्तीसगढ़ी बोलते थे.

अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी बघेल के निधन पर भी श्रद्धांजलि दी. व्यक्तिगत रूप से मेरी एक दो मुलाकात ही हुई, लेकिन मैं कह सकता हूं, वह एक आदर्श माता थी. वह परिवार की धुरी थी. उन्हीं के आसपास उनका परिवार आज इन ऊंचाइयों तक पहुँचा है. कांग्रेस विधायक और पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी.

धर्मजीत सिंह ने कहा कि दुनिया में राजनीति हत्या का यदि कहीं कोई रिकॉर्ड है तो वह छत्तीसगढ़ का है. 2008 में भीमा ने महेंद्र कर्मा जैसे दिग्गज नेता को हरा कर यदि जीत दर्ज की तो कहीं तो कोई बात रही होगी. बारूद ने कोई भेद नहीं किया. बारूद ने महेंद्र कर्मा को भी मारा और भीमा को भी मारा. बलराम सिंह बेहद जिंदादिल आदमी थे. ऐसे महापुरुषों के नहीं रहने से छत्तीसगढ़ को अपूरणीय क्षति हुई है. बड़े- बड़े कवियों और लेखकों ने कहा है दुनिया मे कहीं जन्नत है तो मां की चरणों मे है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को मातृशोक हुआ है. उनकी इस पीड़ा को मैं समझ सकता हूँ.

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज भीमा मंडावी यहां बैठे होते. उन्हें यहां होना चाहिए था. आखिर कब तक नेता नक्सलवाद की बलि चढ़ते रहेंगे. मुझे लगता है कि इस सदन को नक्सलवाद के खात्मे के लिए कोई बड़ा निर्णय करना चाहिए. बलराम सिंह ठाकुर और संतोष अग्रवाल जैसे नेताओं का जाना क्षति है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता का भी निधन हुआ. मां अपने बेटे को मुख्यमंत्री पद पर बैठे देखकर गई हैं हम उन्हें भी श्रद्धांजलि देते हैं.

अजय चंद्राकर ने कहा कि भीमा मंडावी इस सदन में मेरे ठीक पीछे बैठते थे. बस्तर जैसी जगह से जब नेतृत्व उभरता है तो उनके जाने से स्थिति बेहद कमजोर हो जाती है. ऐसे नेतृत्व का रहना बेहद जरूरी है.

डॉक्टर रमन सिंह ने भई दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि दी. रमन सिंह ने कहा कि संतोष अग्रवाल एक ऐसा नाम रहा, जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण को लेकर न केवल छत्तीसगढ़ तक बल्कि दिल्ली तक संघर्ष किया. भीमा मंडावी को मैं हमेशा कहता था कि तुम अपना निवास दंतेवाड़ा में स्थायी रूप से बनाकर रहो. उसका दुःसाहस ही था कि वह कहता था कि मैं गदापाल के लोगों को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता. मैंने अपने जीवन मे ऐसे दो ही दुःसाहसी देखे है, जिन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ आंदोलन चलाया हो एक महेंद्र कर्मा और दूसरा भीमा मंडावी….अलग-अलग पार्टी के होने के बावजूद नक्सलवाद के मुद्दे पर दोनों बातचीत किया करते थे. उन्होंने बलराम सिंह ठाकुर और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की माता बिंदेश्वरी देवी को भी श्रद्धाजंलि दी

https://www.youtube.com/watch?v=K53XDz4E92I&t=75s

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