भारत-अमेरिका तनाव के बीच पुतिन की एंट्री—रक्षा और ऊर्जा सहयोग पर बड़ी डीलें संभव

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत की महत्वपूर्ण यात्रा पर आ रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-अमेरिका व्यापारिक तनाव चरम पर है और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति तेजी से बदल रही है। पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस के गहरे सामरिक संबंधों को एक नई दिशा देने वाली मानी जा रही है।
भारत और रूस दशकों से रक्षा सहयोग के मजबूत स्तंभ रहे हैं। संयुक्त उत्पादन, तकनीकी साझेदारी और बड़े हथियार सौदों ने दोनों देशों को रणनीतिक मोर्चे पर स्वावलंबी बनाया है। यही वजह है कि पुतिन की यात्रा केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति समीकरणों के बीच खड़े दो राष्ट्रों का नया सामरिक संदेश है।
दौरे में किन मुद्दों पर होगी बड़ी बात?
PM मोदी और पुतिन के बीच रक्षा खरीद, ऊर्जा, अंतरिक्ष, साइबर सुरक्षा, व्यापार, खुफिया साझेदारी और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे प्रमुख विषयों पर विस्तृत बातचीत होने की संभावना है। कई अहम रक्षा समझौते भी सामने आ सकते हैं।
रूस—दुनिया का बड़ा हथियार सप्लायर क्यों?
SIPRI के अनुसार रूस पिछले दो दशकों में 50+ देशों को हथियार निर्यात कर चुका है।
उसके प्रमुख ग्राहक—भारत, चीन, वियतनाम, अल्जीरिया, मिस्र, सीरिया, ईरान, इंडोनेशिया, इथियोपिया और लैटिन अमेरिकी राष्ट्र हैं।
रूस के प्रमुख हथियार व उनकी खासियतें
✔ Su-30, Su-35, Su-57 फाइटर जेट
✔ MiG-29, MiG-35
✔ S-300/S-400 मिसाइल डिफेंस
✔ T-72, T-90 जैसे ताकतवर टैंक
✔ Iskander, Cruise Missile, MRLS
✔ Mi-17, Ka-52 जैसे हेलिकॉप्टर
✔ पनडुब्बियाँ, फ्रिगेट, कॉर्बेट
✔ AK-47, AK-203 जैसे असॉल्ट राइफल
रूस के हथियार तकनीकी क्षमता और लागत—दोनों का संतुलन रखते हैं। कठिन परिस्थितियों में प्रदर्शन और कम रख-रखाव में भी विश्वसनीयता उसकी सबसे बड़ी ताकत है।
भारत-रूस रक्षा साझेदारी—70 साल का बंधन
भारत के 60-70% सैन्य उपकरण रूसी तकनीक पर आधारित हैं।
प्रमुख सहयोग—
ब्रह्मोस मिसाइल
Su-30 MKI लड़ाकू विमान
T-90 टैंक
S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
परमाणु पनडुब्बी सहयोग
Mi-17 हेलिकॉप्टर
अनेक संयुक्त उत्पादन परियोजनाएँ
पुतिन का यह दौरा न केवल रक्षा बल्कि ऊर्जा, परमाणु, व्यापार और वैश्विक सुरक्षा पर भी नए रास्ते खोल सकता है।
यह यात्रा क्यों महत्वपूर्ण?
भारत की अमेरिका, रूस और यूरोप के बीच संतुलन नीति का अहम संदेश
भविष्य के लड़ाकू विमान, पनडुब्बी और मिसाइल सौदों का रास्ता
एशिया में रूस की बढ़ती रणनीतिक निर्भरता
भारत-रूस ऊर्जा गठजोड़ की मजबूती
बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका का विस्तार
पुतिन की यह यात्रा भारत-रूस साझेदारी के नए युग की शुरुआत साबित हो सकती है।




