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खून की एक बूँद, उम्मीद की एक किरण – छत्तीसगढ़ में विश्व रक्तदाता दिवस बना सेवा का उत्सव

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस बार विश्व रक्तदाता दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं रहा, बल्कि जनसहभागिता, सेवा और संवेदनशीलता का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया। “Give blood, give hope: together we save lives” यानी “रक्त दो, आशा दो: साथ मिलकर जीवन बचाएं”—इस साल की थीम को साकार करते हुए राज्य के सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में बुधवार को खास आयोजन हुए।

प्रदेशभर के 3807 साप्ताहिक आरोग्य मेलों में जहाँ 46,000 से अधिक नागरिकों ने स्वास्थ्य जांच कराई, वहीं करीब 10,000 लोगों ने रक्तदान की शपथ लेते हुए यह संकल्प दोहराया—जब भी जरूरत होगी, हम किसी की जिंदगी बचाने को तैयार हैं।

गाँव-गाँव गूँजी सेवा की पुकार
ग्राम पंचायतों में सरपंचों के मार्गदर्शन में रक्तदान जागरूकता रैलियाँ निकाली गईं, पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गईं और आदर्श रक्तदाताओं का सम्मान किया गया। शहरी गलियों से लेकर दूरदराज के ग्रामीण अंचलों तक लोगों ने इस अभियान को सेवा का उत्सव बना दिया।

यह सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं रही, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन बन गई—जिसमें हर उम्र, हर वर्ग के लोग जुड़े। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि हमारा उद्देश्य सिर्फ रक्तदान की जानकारी देना नहीं, बल्कि इसे हर जिले, हर पंचायत में जीवनदायिनी परंपरा बनाना है।

जब ‘रक्तदान’ बना ‘करुणा का प्रतीक’
रक्तदान सिर्फ एक मेडिकल जरूरत नहीं, यह करुणा, सहयोग और मानवता की भावना को मजबूत करता है। यह अभियान यह साबित करता है कि जब लोग साथ आते हैं, तो बदलाव मुमकिन होता है।

कौन कर सकता है रक्तदान?
उम्र: 18 से 65 वर्ष के स्वस्थ नागरिक

अवधि: हर 3 से 4 महीने में एक बार रक्तदान संभव है

सुरक्षा: रक्तदान पूरी तरह सुरक्षित प्रक्रिया है

छत्तीसगढ़ की धरती ने एक बार फिर दिखाया कि जब बात इंसानियत की हो, तो हर दिल से एक ही आवाज़ आती है—”हम तैयार हैं।”

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