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रायपुर : पंडित माधवराव सप्रे ने छत्तीसगढ़ में रखी पत्रकारिता की बुनियाद : डॉ. रमन सिंह

रायपुर : मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल 19 जून को छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के युग प्रवर्तक साहित्यकार और पत्रकार स्वर्गीय पंडित माधव राव सप्रे की जयंती पर राज्य की पत्रकारिता की विकास यात्रा में उनके ऐतिहासिक योगदान को याद किया है। डॉ. सिंह ने सप्रे जी की जयंती की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी शुभकामना संदेश में कहा है कि स्वर्गीय श्री माधवराव सप्रे ने छत्तीसगढ़ में आज से 118 साल पहले सन 1900 में श्रीराम राव चिंचोलकर के साथ मिलकर हिन्दी मासिक पत्रिका ’छत्तीसगढ़ मित्र’ का सम्पादन और प्रकाशन शुरू करके पत्रकारिता की बुनियाद रखी।

उसी बुनियाद पर आज राज्य में पत्रकारिता की समृद्ध परम्परा पुष्पित और पल्लवित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा-एक ऐसे दौर में जब प्रिंटिंग टेक्नालॉजी का बहुत अधिक विकास नहीं हुआ था, आज की तरह कम्प्यूटर प्रिंटिंग और इंटरनेट जैसी सुविधाएं नहीं थी, तब छत्तीसगढ़ के उस समय के अत्यंत पिछड़े पेण्ड्रा जैसे इलाके में सप्रे जी ने पत्रिका प्रकाशन की चुनौती को स्वीकार किया और अपनी मासिक पत्रिका की शुरूआत कर छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के एक नये इतिहास की रचना की।

मुख्यमंत्री ने कहा-स्वर्गीय पंडित माधवराव सप्रे एक महान तपस्वी साहित्यकार और पत्रकार थे, जिन्होंने छत्तीसगढ़ को अपनी कर्मभूमि बनाकर भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के इतिहास में इस राज्य को भी सम्मानजनक स्थान दिलाया। भारतीय स्वंतत्रता संग्राम में भी सप्रे जी का ऐतिहासिक योगदान रहा। उन्होंने साहित्य और पत्रकारिता के माध्यम से तत्कालीन भारतीय समाज में राष्ट्रीय चेतना जगाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए रायपुर में सन 1912 में जानकी देवी कन्या पाठशाला की स्थापना की और सन 1920 में राष्ट्रीय विद्यालय की शुरूआत भी उनके द्वारा की गई। पंडित माधवराव सप्रे रचित कहानी ’टोकरी भर मिट्टी’ को भारतीय साहित्य के इतिहास में हिन्दी की पहली कहानी के रूप में प्रशंसा मिली है।

पंडित माधवराव सप्रे का जन्म 19 जून 1871 को मध्यप्रदेश के दमोह जिले के अंतर्गत ग्राम पथरिया में हुआ था। उनकी प्राथमिक शिक्षा छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में और हाईस्कूल की शिक्षा रायपुर में हुई। उन्होंने कॉलेज शिक्षा जबलपुर, ग्वालियर और नागपुर में प्राप्त की।

स्वर्गीय पंडित माधवराव सप्रे ने कोलकाता विश्वविद्यालय से बी.ए. की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने नागपुर से मई 1906 में हिन्दी गं्रथ माला नामक पत्रिका का भी प्रकाशन शुरू किया था, लेकिन देशभक्तिपूर्ण विचारों पर आधारित यह पत्रिका अंग्रेज सरकार की आंखों में खटकने लगी और ब्रिटिश हुकूमत ने सन 1908 में इसका प्रकाशन बंद करवा दिया।

इतना ही नहीं बल्कि अंग्रेजों की सरकार ने सप्रे जी को 22 अगस्त 1908 को आईपीसी की धारा 124 (अ) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कुछ महीनों बाद उन्हें रिहा किया गया। पंडित माधवराव सप्रे का निधन रायपुर के तात्यापारा स्थित अपने निवास में 23 अप्रैल 1926 को हुआ।

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