
रायपुर : छत्तीसगढ़ में रह रहे सिक्ख जितनी नम्रता से रहते है वह उतनी सेवा भी करते हैं. सिक्ख धर्म में परमात्मा ने हमें सेवा और सिमरन करने की सीख दी है. उसी सीख के फलस्वरुप सिक्खों ने अपनी रोजी रोटी के साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य और उसकी संस्कृति को अपना लिया है. छत्तीसगढ़ राज्य अल्प संख्यक आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह केम्बो ने आज छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन व्दारा आयोजित समाज के लिए सिक्ख अधिकारियों के योगदान विषय़ पर आयोजित एक सेमीनार में मुख्य अतिथि के रुप मे उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य में लगभग 50 हजार की सिखों की आबादी में लगभग 10 हजार सिक्ख बहुत ही सहजता के साथ छत्तीसगढ़ी भाषा में बात करते हैं. इस अवसर पर सीजी सिक्ख आफिसर्स डॉट काम वेबसाईट का विमोचन भी किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य और उसकी संस्कृति को अपना लिया
धमतरी के विधायक गुरुमुख सिंह होरा ने इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सिक्खों को छत्तीसगढ़ राज्य में कई स्तर पर जनता के प्रतिनिधित्व का करने का अवसर मिला हुआ है. इसका कारण है सिक्खों का व्यवहार और हमेशा एक दूसरों की मदद करने का स्वभाव. छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन अपने समाज की समस्याओं के साथ ही अन्य सभी समाज के लोगों की मदद करेगा यह एक अच्छी और व्यापक सोच है. उन्होंने कहा राज्य में डॉक्टरों की आवश्यकता को देखते हुए सिक्ख समाज को एक मेडिकल कॉलेज खोलने की पहल करनी चाहिए। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह सवन्नी ने इस मौके पर कहा कि राज्य में सिक्खों ने अपने कार्य और मेहनत के बल पर सर्व समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
हमेशा एक दूसरों की मदद करने का स्वभाव
सिक्ख अधिकारियों ने राज्य के विकास में अ्पना महत्वपूर्ण योगदान दिया है. यह अच्छी बात है कि सेवानिवृत और कार्यरत अधिकारियों की इस एसोसियेशन ने लोकहित में जो कार्य प्रारंभ किया है वह प्रशंसनीय है। इस अवसर पर संयोजक जी.एस, भामरा ने एसोसियेशन के उद्देश्यों की जानकारी देते हुए बताया कि सिक्ख धर्म की परंपरा के अनुसार ‘सरबत का भला’ और छत्तीसगढ़ में ‘सर्व समाज के हित में’ काम करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ सिक्ख ऑफिसर्स वेलफेयर एसोसियेशन का गठन किया गया है. एसोसियेशन वर्तमान में मुख्य रुप से तीन क्षेत्रों में कार्य करेगी. जिसमें चिकित्सा परामर्श एवं फॉर्मेसी संचालन, प्रोफेशनल एवं कैरियर गाईडेन्स तथा पारिवारिक विवाद परामर्श एवं सामाजिक सुधार के कार्य. इस हेतु एसोसियेशन व्दारा समितियां गठित कर दी गई है.
एसोसियेशन ने लोकहित में जो कार्य प्रारंभ किया
भामरा ने कहा कि कई सालों की नौकरी में सिक्ख अधिकारियों के सेवा का अवसर नहीं मिल पाया था सो रिटायरमेंट के बाद हम सभी सिक्ख भावना के अनुरुप लोगों की सेवा कर सकें इसी उद्देश्य के साथ हमने इस संस्था का गठन किया है ताकि छत्तीसगढ़ के लोगों की सेवा कर सकें. उन्होंने कहा कि सिक्ख अधिकारियों के योग्यता और नौकरी के दौरान अनुभव के माध्यम से हम बेहतर ढंग से लोगों की सेवा कर सकेंगे ऐसी आशा है. भामरा ने बताया कि फार्मेसी संचालन हेतु जनऔषधि केन्द्र स्थापना हेतु एसोसियेशन को केन्द्र सरकार से अनुमति मिल गई है. राज्य शासन से अनुमति मिलते ही जनऔषधि केन्द्र प्रारंभ किया जाएगा जहां कम दरों में दवाएं तथा चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
सेवा कर सकेंगे ऐसी आशा है
कार्यक्रम में पूर्व उपनिदेशक दूरदर्शन तेजेन्द्र सिंह गगन ने छत्तीसगढ़ में सिक्खों के आगमन की जानकारी देते हुए बताया कि सन् 1833 रायगढ़ में पहला सिक्ख परिवार आया. उस समय अंग्रेजों ने अपनी सेना के रुप में पंजाब के सिक्खों को छत्तीसगढ़ में पदस्थ किया. उसके बाद यहां सिक्ख सैनिक के रुप में आए. 1857 की क्रांति के बाद में भामरा परिवार जो निर्माण के लिए अंबिकापुर आया. उन्होंने अंग्रेजों के लिए यहां निर्माण के कई कार्य किए. देश के विभाजन के बाद कई सिक्ख परिवार यहां आकर बसे. आज छत्तीसगढ़ के कई गांवों में सिक्ख रह रहे हैं और वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति में रच बस गए हैं. कैरियर संबंधी विषय पर जगदीश सिंह ने उच्च शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया.
भामरा परिवार जो निर्माण के लिए अंबिकापुर आया
परिवारों में रिश्तों के बारे में सरदार बी.एस. सलूजा ने कहा कि आज के समय में पारिवारों में बढ़ रहे तनावों को दूर करने के लिए दिलों को जोड़ कर रखने की जरुरत है इसीलिए लोग कॉऊंसिलिंग का सहारा ले रहे हैं। कार्यक्रम में संयोजक जी.एस. भामरा सहित कार्यकारिणी के सदस्य जे.एस. जब्बल,ए.एस.प्लाहा, एम.एस. सलूजा,आर.एस.आजमानी, तेजन्द्र सिंह गगन, लक्ष्मण सिंह,कुलदीप सिंह छाबड़ा, ए.एस. गिल, अमोलक सिंह छाबड़ा, जगदीश सिंह, बी.एस. सलूजा और हरबक्क्ष सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया. इस मौके में अधिकारियों की पत्नियां भी उपस्थित थी।