ये भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री थे। इन्होंने लो ऑर्बिट में स्थित सोवियत स्पेस स्टेशन की उड़ान भरी और सात दिनों तक स्पेस स्टेशन में रहे। बता दें कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा लगता है तो उन्होंने कहा कि ‘ सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’।
राकेश शर्मा का जन्म 13जनवरी 1949 को पटियाला में हुआ था। ये बचपन से ही पायलट बनना चाहते थे। इसी ख्वाहिश को मन में लिए इन्होंने सैनिक शिक्षा हैदराबाद से ग्रहण की। इसके बाद वे भारतीय वायुसेना में बतौर टेस्ट पायलट भी चुने गए।
इसी दौरान उन्हें भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री बनने का मौका मिला। हुआ यूं कि 20 सितंबर 1982 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘ इसरो’ के जरिए इन्हें अंतरिक्ष एजेंसी इंटरकॉस्मोस के अभियान के लिए चुना गया।
उनके लिए यह अविस्मरणीय पल था जब 2अप्रैल 1984 को उन्हें सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी- 11 अंतरिक्ष यान से अन्य दो अंतरिक्ष यान के कमांडर वाई. वी मालिशेव और फ्लाइट इंजिनियर जी.एम स्ट्रकोलॉफ अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरने का मौका मिला। इस मिशन में राकेश शर्मा भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
सेल्यूट-7 में राकेश शर्मा सात दिनों तक रहे। उन्होंने वहां 33प्रयोग करे। उन्होंने वहां भारहीनता से पैदा होने वाले असर से निपटने के लिए अभ्यास भी किया। इसके अलावा तीनों ही अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस स्टेशन से मॉस्को और नई दिल्ली के एक साझा सम्मेलन को भी संबोधित किया। तमाम भारतवासी इसके साक्षी बने।