दशकों की प्रतीक्षा खत्म: कोंडापल्ली में पहली बार गूंजा मोबाइल नेटवर्क, जश्न में डूबा पूरा इलाका

रायपुर। दूरसंचार, सड़क और बिजली जैसी सुविधाएँ जहाँ आज सामान्य जीवन का आधार मानी जाती हैं, वहीं बस्तर संभाग के कुछ वनांचल अभी तक इनसे अछूते थे। बीजापुर ज़िले के कोंडापल्ली गाँव में पहली बार मोबाइल नेटवर्क पहुँचते ही माहौल उत्सव में बदल गया।
तेलंगाना–छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे इस घने वन क्षेत्र में वर्षों से न सड़क थी, न बिजली, न पेयजल। ऐसे में मोबाइल टॉवर का लगना सिर्फ तकनीकी सुविधा नहीं, बल्कि दुनिया से जुड़ने की ऐतिहासिक शुरुआत बन गया।
जैसे ही नेटवर्क चालू होने की खबर फैली, ग्रामीण झूम उठे। महिलाएँ, पुरुष और बच्चे रैली बनाकर टॉवर स्थल पहुँचे। पारंपरिक पूजा हुई, माँदर की थाप पर लोग नाचते नजर आए। आसपास के गाँवों के लोग भी इस खुशी का हिस्सा बने। सुरक्षा बलों के जवानों ने भी मिठाइयाँ बाँटकर खुशी साझा की।
अब कोंडापल्ली के ग्रामीणों को बैंकिंग, आधार, राशन, पेंशन, स्वास्थ्य सेवाएँ और ऑनलाइन शिक्षण जैसी सुविधाएँ पहली बार सुगमता से उपलब्ध होंगी। यह बदलाव उनके लिए एक नए जीवन अध्याय जैसा है।
नियद नेल्ला नार योजना के तहत संवेदनशील क्षेत्रों में सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बैंकिंग और संचार सेवाओं को तेज़ी से पहुँचाया जा रहा है। 69 नए कैम्पों के आसपास के 403 गाँवों में 18 सामुदायिक और 25 व्यक्तिमूलक सेवाएँ सुनिश्चित की जा रही हैं।
बस्तर क्षेत्र में संचार नेटवर्क सबसे प्रभावी बदलाव साबित हो रहा है। पिछले दो वर्षों में कुल 728 नए टॉवर लगाए गए — 116 एलडब्ल्यूई कार्यक्रम के तहत, 115 आकांक्षी ज़िलों में और 467 टॉवर 4G नेटवर्क के रूप में। साथ ही 449 पुराने टॉवरों को 2G से 4G में अपग्रेड किया गया है।
कोंडापल्ली में दिसम्बर 2024 में कैम्प स्थापित होने के बाद प्रशासन पहली बार नियमित रूप से गाँव तक पहुँचने लगा। लंबे समय से बंद सड़क का पुनर्निर्माण बीआरओ द्वारा 50 किमी तक तेज़ी से किया जा रहा है। दो महीने पहले पहुँची बिजली ने बच्चों की पढ़ाई से लेकर छोटे व्यवसायों तक जीवन में बड़ा सकारात्मक परिवर्तन ला दिया है।
मोबाइल नेटवर्क का पहुँचना इस बात का संकेत है कि विकास की रोशनी अब उन इलाकों तक भी पहुँच रही है, जो दशकों से इंतज़ार में थे। यह सिर्फ संचार सेवा की शुरुआत नहीं, बल्कि विश्वास, बदलाव और नई संभावनाओं के दौर का आरंभ है।




