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सरोना डंप-साइट को मिलेगी नई पहचान, काम में ढिलाई पर एजेंसी को अल्टीमेटम

रायपुर की सरोना डंप-साइट अब कचरे का पहाड़ नहीं, बल्कि हरित क्षेत्र के रूप में विकसित होगी। नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने सुबह-सुबह साइट का निरीक्षण कर बायो-रिमिडिएशन कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। निरीक्षण के दौरान कार्य की धीमी रफ्तार पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने एजेंसी को 31 मार्च 2026 तक हर हाल में काम पूरा करने के निर्देश दिए।

मंत्री ने स्पष्ट कहा कि तय समयसीमा में लक्ष्य पूरा करने के लिए मशीनरी और मानव संसाधन दोनों बढ़ाए जाएं। किसी भी प्रकार की लापरवाही या ढिलाई पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई। निरीक्षण के दौरान विभागीय अधिकारी, महापौर और नगर निगम के वरिष्ठ अफसर मौजूद रहे।

कार्य की नियमित निगरानी के लिए साप्ताहिक कार्ययोजना तैयार करने, प्रगति रिपोर्ट शासन और संबंधित कार्यालयों को भेजने तथा लाइव फीड और ड्रोन के जरिए लगातार मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए। नगर निगम अधिकारियों को रोजाना भौतिक प्रगति की समीक्षा करने को भी कहा गया।

निरीक्षण के बाद मंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक और चरणबद्ध रिमिडिएशन के बाद सरोना डंप-साइट को पूरी तरह कचरा मुक्त कर एक मॉडल साइट के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका सौंदर्यीकरण कर रायपुरवासियों के लिए हरित और उपयोगी सार्वजनिक क्षेत्र तैयार किया जाएगा।

यह परियोजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत लेगेसी वेस्ट डंप-साइट्स के निपटान की दिशा में एक अहम कदम है। 28 एकड़ में फैली इस साइट पर पिछले 20 वर्षों से जमा कचरे ने पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा की थीं। अब बायो-रिमिडिएशन के जरिए जमीन को फिर से उपयोग योग्य बनाया जा रहा है, साथ ही आरडीएफ, इनर्ट और बायो-सॉयल जैसे उपयोगी उत्पाद भी प्राप्त किए जा रहे हैं।

नगर निगम के अनुसार, साढ़े चार लाख टन में से अधिकांश अपशिष्ट का प्रसंस्करण पूरा हो चुका है और शेष कार्य जल्द ही पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह पहल न सिर्फ रायपुर को स्वच्छ और सुंदर बनाएगी, बल्कि प्रदेश के अन्य नगरीय निकायों के लिए भी एक प्रेरक मॉडल बनेगी।

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