नईदिल्ली : कांग्रेस पर बरसीं सुषमा, आरोपों का दिया सिलसिलेवार जवाब
नई दिल्ली : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक में लापता हुए 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि के बाद केंद्र सरकार पर उठ रहे सवालों का प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जवाब दिया। स्वराज ने लोकसभा में इससे जुड़े अपने बयान के वक्त विपक्ष खासकर कांग्रेस के हंगामे को बेहद ओछी राजनीति करार दिया। उन्होंने सीधे-सीधे विपक्ष की संवेदनहीनता के लिए कांग्रेस नेतृत्व को कठघरे में खड़ा किया। विदेश मंत्री ने लापता भारतीयों के बारे में देश को अंधेरे में रखने और देर से बताने जैसे उन आरोपों का सिलसिलेवार जवाब दिया, जिन्हें विपक्ष और पीडि़त परिवार लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 39 में से 38 शवों को लाने के लिए विदेश राज्यमंत्री जनरल वी. के. सिंह इराक जाएंगे।
कांग्रेस ने की बेहद ओछी राजनीति
सुषमा स्वराज ने कहा, आज कांग्रेस बेहद ओछी राजनीति कर रही है। शायद कांग्रेस अध्यक्ष ने सोचा कि राज्यसभा में कैसे कोई हंगामा नहीं हुआ तो उन्होंने सिंधियाजी से लोकसभा में विरोध की अगुआई करने को कहा। मौत पर राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आगे कहा, राज्यसभा में हर किसी ने मुझे बहुत ही धैर्य और शांति से सुना। हर किसी ने श्रद्धांजलि दी, मैंने सोचा कि लोकसभा में भी ऐसा ही होगा। लेकिन पिछले कुछ दिनों के हंगामे के उलट आज कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधियाजी की अगुआई में विरोध किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। बता दें कि मंगलवार को सुषमा स्वराज जब लोकसभा को इराक में मारे गए 39 भारतीयों के मौत की जानकारी दे रही थीं, उस समय विपक्ष हंगामा कर रहा था। विपक्ष के हंगामे से स्पीकर भी आहत दिखीं और उन्होंने विपक्ष से संवेदनशीलता बरतने की अपील भी की, लेकिन हंगामा जारी रहा।
सरकार ने जो हो सकता था, वो सब किया
सुषमा ने कहा, 2014 की घटना है जून की और आज 2018 का मार्च आ गया। इस दौरान हमने हर मुमकिन कोशिश की, जो कुछ भी किया जा सकता था, सरकार ने वह सब कुछ किया..प्रधानमंत्रीजी ने कोशिश की…मैंने खुद तमाम विदेश मंत्रियों से बात की। उन्होंने कहा, मैंने बार-बार कहा कि जब तक सबूत नहीं मिल जाते, हम लापता भारतीयों को मरा हुआ नहीं मानेंगे…जब सबूत मिला तो हमने कबूल किया।
पीडि़त परिवारों के आरोपों का सिलसिलेवार जवाब
सुषमा ने सरकार पर पीडि़त परिवारों की तरफ से लग रहे आरोपों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, पहला सवाल की हमने परिवार वालों को पहले क्यों नहीं बताया…संसद को क्यों बताया…तो यह संसद की परंपरा है कि संसद सत्र चल रहा हो तो अहम जानकारियां संसद में दी जाती हैं…मैंने पहले ही कहा था कि जैसे ही कोई पुख्ता सबूत मिला तो सबसे पहले संसद को बताऊंगी…अगर सत्र नहीं चल रहा होता तो ट्वीट कर देश को बताती।
लाखों लाशों में से भारतीयों की लाशों की कैसे पहचान हुई, इस सवाल के जवाब में सुषमा ने कहा, दूसरा ये सवाल उठ रहा है कि लाखों लोगों में इनकी लाशें कैसे मिल गई…जब डीएनए सैंपल लिए गए तो क्या उस समय पता था कि वे मर चुके थे?…मोसुल की मुक्ति के 20-25 दिनों बाद भी जब लापता भारतीयों का पता नहीं चला तो हमने शवों की जांच का फैसला किया था, इसीलिए डीएनए सैंपल लिए गए…इराकी विदेश मंत्री से गुजारिश की गई जिस पर उन्होंने डीएनए सैंपल देने की बात कही थी…हमने पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और बिहार- इन चारों राज्यों से परिजनों का डीएनए इका करने को कहा।
सामूहिक कब्रों में नहीं, टीले से मिले भारतीयों के शवसुषमा ने कहा कि लापता भारतीयों के शव सामूहिक कब्रों में नहीं मिले, बल्कि ये एक टीले पर मिले। उन्होंने कहा, यह तब मिला जब जनरल साहब (विदेश राज्यमंत्री जनरल वी. के. सिंह) बदूस गए थे तो पता चला कि एक टीले पर कई लाशें दफनाई गई थीं….फिर हमने इराक सरकार से जांच का अनुरोध किया कि क्या वहां टीले के नीचे पार्थिव शरीर हैं…जांच में पता चला कि टीले के नीचे शव हैं…हमने टीले की खुदाई कराई…यह आसान नहीं था। शवों को निकलवाया…वहां टीले पर दफनाए गए लोगों की संख्या 39 थी…कुछ लंबे बाल निकले…एक कड़ा निकला…जो सिख लोग पहनते हैं…इससे लगा कि शायद ये लापता भारतीयों के ही शव हैं। वहां से उन शवों को बगदाद ले जाया गया और मास ग्रेव्स के लिए दिए गए डीएनए सैंपल्स से मिलान कराने को कहा गया। सबसे पहला मैच संदीप कुमार नाम के लडक़े का हुआ…धीरे-धीरे सब मैच होते रहे…कल रात को हमें बताया गया कि 38 डीएन सैंपल मैच हो गए हैं…39वां इसलिए मैच नहीं हुआ क्योंकि मृतक के माता-पिता नहीं थे तो क्लोज रिलेटिव का डीएनए मैच कराया गया, वह भी 70 प्रतिशत मैच कर गया…वह अभी प्रक्रियाधीन है। उसमें हम पहचान की कुछ दूसरी तकनीकों का भी सहारा ले रहे हैं।
हमने देश को अंधेरे में नहीं रखा
सुषमा ने कहा, ऐसा नहीं है कि हम गुमराह करने के लिए किसी भी 38 शव को ला दें…ऐसा पाप हम कभी नहीं करेंगे…हमने मार्टियस फाउंडेशन (एनजीओ) ने जिनके बारे में 100 प्रतिशत घोषणा की, उन्हीं को माना। हमने किसी को अंधेरे में नहीं रखा, गुमराह नहीं किया। सुषमा ने इस मसले पर संसद में दिए अपने पहले के दो बयानों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 24 नवंबर 2014 को हमने संसद में कहा कि हमारे पास न उनके जिंदा होने का ठोस सबूत है और न ही मरने का। विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने संसद में अपने पहले बयान में भी कहा था कि ठोस सबूत के साथ एक व्यक्ति भी आ गया तो हम मान लेंगे कि सभी मर चुके हैं।
विदेश मंत्री ने आगे कहा, 27 जुलाई 2017 को मेरा संसद में दूसरा बयान…जब तक हमारे पास उनके मारे जाने का पुख्ता सबूत नहीं मिलता तब तक हम उनकी मौत की घोषणा नहीं कर सकते..यह पाप होगा…सरकार की गैरजिम्मेदारी होगी।
यह अथक, अभूतपूर्व प्रयास था
सुषमा ने कहा, हमने किसी को अंधेरे में नहीं रखा, झूठी दिलासा नहीं दी…यह अथक प्रयास था..अभूतपूर्व प्रयास था। मोसुल की मुक्ति के बाद जनरल साहब वहां 3 बार गए। 9 जुलाई 2017 को मोसलु मुक्त हुआ तो 10 तारीख को जनरल साहब वहां पहुंच गए। विदेश मंत्री ने कहा कि शायद भारत पहला ऐसा देश है जो आईएस के हाथों मारे गए अपने सभी लोगों के शवों को स्वदेश ला रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे तसल्ली है कि मैंने जो वचन दिया था, उसे पूरा किया।