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अमेरिका-चीन टैरिफ जंग में रुकावट कम, भारत अपनी रफ्तार पर कायम

दक्षिण कोरिया के बुसान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद अमेरिका और चीन के बीच महीनों से चली आ रही टैरिफ जंग में हलचल देखने को मिली। बैठक के बाद अमेरिका ने चीन पर लगाए गए टैरिफ को 20% से घटाकर 10% करने का निर्णय लिया। इसके बदले चीन ने अवैध फेंटानिल ड्रग्स पर कार्रवाई करने, अमेरिकी सोयाबीन की खरीद फिर से शुरू करने और रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात जारी रखने का वादा किया। यह दोनों नेताओं की 2019 के बाद पहली आमने-सामने मुलाकात थी।

हालांकि, भारत ने अमेरिकी दबाव के बावजूद अपने ट्रेड रुख में कोई बदलाव नहीं किया। भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जर्मनी में कहा कि भारत किसी भी व्यापार समझौते को दबाव या डेडलाइन में नहीं करेगा। उनका कहना था कि भारत के लिए व्यापार समझौते भरोसे और दीर्घकालिक साझेदारी पर आधारित होते हैं।

अमेरिका और भारत के बीच मार्च 2025 से व्यापार समझौते की बातचीत चल रही है, लेकिन पांच दौर की बैठकों के बाद भी यह कृषि और डेयरी क्षेत्र पर अटकी हुई है। भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों में जेनेटिकली मॉडिफाइड (GMO) सामग्री और पशु-आधारित चारे के इस्तेमाल को लेकर इंकार किया। इस वजह से ट्रंप ने भारत पर 50% तक टैरिफ और रूसी तेल खरीद पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया, लेकिन भारत ने झुकने से साफ मना कर दिया।

पीयूष गोयल ने दोहराया कि भारत किसी भी समझौते को राजनीतिक टाइमलाइन या अमेरिकी धमकियों के आधार पर नहीं करेगा। भारत ने अपने व्यापार को विविध किया और घरेलू मांग को मजबूत किया। चीन के विपरीत, जिसने कुछ समझौतों के लिए रियायत दी, भारत ने अपनी शर्तों पर डटे रहने का फैसला किया है।

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