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Special: देश के इतिहास के 10 सबसे भयावह दंगे, जिसमें गईं हजारों जानें

भोपाल,  (Fourth Eye News) वैसे तो हमें आजाद हुए 70 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, आजादी के वक्त विभाजन का जो दर्द देश ने झेला था, उसे वह आजतक नहीं भूला है, लेकिन तब से लेकर अबतक भारत देश में कई दंगे हुए, जिसमें निर्दोष लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. लेकिन इनमें ज्यादातर दंगों में हिंदू और मुस्लिम ही आमने सामने रहे, हालांकि कुछ भयावह दंगे दूसरे समाजों के बीच भी हुए, लेकिन फिर भी ज्यादातर इन दंगों में हिंदू और मुस्लिमों को ही अपनी जान गंवानी पड़ी ।

आज हम आपको उन भयावह दंगों के बारे में बता रहे हैं, जिनकी वजह से पूरा देश थर्रा गया था.

1. असम दंगा (2012)

asam riots

यह दंगा तब हुआ जब असम में बोडो जनजाती पर बांग्लादेशी घुसपैठिए दवाब बनाने लगे, इसकी वजह से बोडो जनजाति के लोगों में गुस्सा घर करने लग गया, और इस गुस्से ने दंगों का रूप ले लिया. इन दंगों में करीब 80 लोगों की मौत हुई और लाखों लोग बेघर हुए. यह दंगा भारत के इतिहास में सबसे बड़े दंगों में से एक है

2. देगंगा दंगा (2010)

देगंगा दंगा

साल 2010 की बात है जब पश्चिम बंगाल के देगंगा में कुछ अदिवादियों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ दिया, इस दौरान दंगाइयों ने मंदिर के खजाने को भी लूट लिया था. इसके परिणाम में कई लोगों की हत्याएं हुईं और कई लोगों को बेघर होना पड़ा.

3. अलीगढ़ दंगा (2006)

अलीगढ़ दंगा

अलीगढ़ के उत्तर प्रदेश का सांप्रदायिक दंगों से ग्रस्त शहर भी कहा जाता है. 5 अप्रैल 2006 को हिन्दुओं के पवित्र पर्व रामनवमी के अवसर पर हिंदू और मुसलमानों के बीच बहुत हिंसक झड़पें हुईं  जिसमें 6-7 लोगों की मौत हो गई. यहां अकसर इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं.

4. गुजरात दंगा (2002) दो हजार से भी ज्यादा जानें गईं

गुजरात दंगा

देखा जाए तो गुजरात में कई दंगे हुए हैं, लेकिन गोधरा के दंगों ने एक ऐसा जख्म दिया, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. इस दंगे ने देश के भयंकर दंगों का रूप ले लिया. दरअसल इसकी शुरुआत 2002 में हुई थी, जब कारसेवक अयोध्या से गुजरात साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन से लौट रहे थे. इसी बीच कुछ असामाजिक तत्वों ने इस ट्रेन की कई बोगियों को गोधरा में जला दिया. इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई. बाद में प्रतिकार के रूप में यह घटना एक बड़े दंगे के रूप में तब्दिल हो गयी, जिसमें करीब 2000 लोगों की जानें गईं और लाखों लोगों को बेघर होना पड़ा.

5. मुंबई दंगा (1992)

मुंबई दंगा

मंबई में हुए दंगों की असली बाबरी मस्जित विध्वंस बना इस विध्वंस के बाद पूरी मुंबई आग की चपेट में आ गई, यह आग दिसंबर 1992 से लेकर जनवरी तक मुंबई में जली, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई, जबकि हजारों लोग बेघर हुए.

6. भागलपुर दंगा (1989)

भागलपुर दंगा

भागलपुर दंगा 1947 के बाद, भारतीय इतिहास के सबसे क्रूर दंगों में से एक था. यह दंगा अक्टूबर 1989 को भागलपुर में हुआ था. इसमें मुख्य रूप से हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल थे. इसके कारण करीब 1000 से ज़्यादा निर्दोषों को अपनी जानें गंवानी पड़ी. जिनमें हिंदू भी थे और मुस्लिम भी.

7. वाराणसी दंगा (1989)

वाराणसी दंगा

मुख्यरूप स हिंदू आस्था का केंद्र माने जाने वाले वाराणासी में कई बार दंगे भड़के, इस पवित्र शहर में 1989, 1990 और 1992 में भयंकर दंगे हुए हुए, जो सामान्य तौर पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुए, जिनमें पूजा विवाद मुख्य कारण रहा, इस हिंसा में कई लोगों की जानें गईं और कई लोग बेघर हुए.

8. कश्मीर दंगा (1986)

कश्मीर दंगा

यह दंगा कश्मीर में मुस्लिम कट्टरपंथी द्वारा कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बाहर खदेड़ने के लिए किया गया, जिसमें 1000 से भी ज़्यादा लोगों की जान गईं, और कश्मीरी पंडितों को घाटी और उनके घरों से निकाल दिया गया. जिनकी आजतक वापसी नहीं हो पाई है.

9. सिख-विरोधी दंगा (1984)

सिख विरोधी दंगा

31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की मौत पर इस दंगे की शुरुआत हुई थी. इंदिरा गांधी के सिख अंगरक्षकों ने ही उनकी हत्या कर दी. इसके परिणामस्वरूप अगले ही दिन इस दंगे की शुरुआत हुई जो कई दिनों तक चला. इस दंगे में 800 से ज़्यादा सिखों की हत्या हुई थी.

10. कलकत्ता दंगा (1946)

कलकत्ता दंगा

1946 में कलकत्ता की सड़कों पर भयंकर नरसंहार हुआ, जिसमें 4000 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई, इन दंगों को “डायरेक्ट एक्शन दिवस” के नाम से भी जाना जाता है. इन दंगों में 10,000 से भी ज़्यादा लोग घायल हुए थे. हिंदू-मुस्लिम समुदाय में होने वाली हिंसा के कारण यह दंगा हुआ था. उस वक्त कोलकाता में ज्यादातर आबादी मुस्लिम थी और पार्टिशन के लिए अड़े जिन्ना के हाथ में सत्ता की कमान थी, लिहाजा उसने डारेक्ट एक्शन की घोषणा कर दी. यानि कि हिंदूओं को देखते ही मारने की खुली छूट जिन्ना ने उस वक्त दे दी थी, जिसके परिणाम स्वरूप हजारों हिंदूओं को हत्या कर दी गई, जबकि कई महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया.

 

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