नईदिल्ली ; गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता बिमल गुरुंग की गिरफ्तारी पर रोक
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने दार्जिलिंग के गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के नेता बिमल गुरुंग की गिरफ्तारी पर रोक लगाने तथा पश्चिम बंगाल में गोरखालैंड समर्थकों की कथित हत्या की स्वतंत्र जांच संबंधी अर्जी आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने गुरुंग की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दर्ज मुकदमों को पश्चिम बंगाल के बाहर हस्तांतरित करने संबंधी अर्जी भी खारिज कर दी। न्यायालय के इस आदेश के बाद बिमल गुरुंग को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। सुनवाई के दौरान बिमल गुरुंग ने कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उसके अलग गोरखालैंड आंदोलन को खत्म कराने के लिए उसके सदस्यों पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाये हैं।
सुनवाई के दौरान बिमल गुरुंग के वकील पीएस पटवालिया ने कहा था कि राज्य सरकार पक्षपातपूर्ण तरीके से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के सदस्यों को फंसा रही है। दार्जिलिंग में भय का माहौल है। पटवालिया ने जीजेएम के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराये जाने की मांग की थी। उन्होंने दलील दी थी कि जीजेएम के कई कार्यकर्ताओं की फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई। पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनकी पार्टी के एक कार्यकर्ता की सिक्किम में हत्या की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की जांच निष्पक्ष नहीं है। उनकी इस दलील का राज्य सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पुरजोर विरोध किया था।
उन्होंने कहा था कि गुरुंग के वकील जो भी कह रहे हैं वह खतरनाक है। वहां कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थित उत्पन्न हो गई है। गुरुंग जांच में कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं। गौरतलब है कि 20 नवंबर 2017 को शीर्ष अदालत ने बिमल गुरुंग की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई थी।