नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट कलीजियम की सिफारिशों पर निर्णय करने की समयसीमा हो: जस्टिस कुरियन जोसेफ

नई दिल्ली : जस्टिस कुरियन जोसफ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम की सिफारिशों पर सरकार को एक समयसीमा के अंदर कदम उठाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिशों पर दो सप्ताह और हाई कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिशों पर तीन महीनों के अंदर मंजूरी देने का सुझाव दिया है।
अभी सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों के तौर पर नियुक्ति के लिए कलीजियम की ओर से सुझाए गए नामों पर सरकार के फैसला करने की कोई समयसीमा नहीं है। बहुत से मामलों में सिफारिशों पर कई महीनों तक फैसला नहीं होता। जस्टिस जोसफ ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है, जब सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसफ को प्रमोट करने की दोबारा सिफारिश की है। इससे पहले जनवरी में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त करने की सिफारिश की गई थी।
उधर, जस्टिस मदन बी लोकुर ने न्यायपालिका से जजों को चुनने की प्रक्रिया की मजबूती पर विचार करने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, यह मौजूदा खींचतान का एक कारण हो सकता है… सिफारिशें भेजी जा रही हैं और वापस आ रही हैं।
क्या हम सही प्रकार से स्क्रूटनी कर रहे हैं
जस्टिस जोसफ ने जजों की रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करने के अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के हाल के सुझाव का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा, एक जज के सबसे उत्पादक वर्षों का इस्तेमाल 70 तक किया जा सकता है। अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों के रिटारयमेंट की आयु 65 वर्ष और हाई कोर्ट के जजों की 62 वर्ष है।
जस्टिस जोसफ ने यह भी सुझाव दिया है कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्तियों और कोर्ट के कामकाज पर अन्य वरिष्ठ जजों की सहायता ले सकते हैं। उन्होंने कहा, चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होते हैं, लेकिन वह किसी अन्य हाई कोर्ट से आते हैं। उन्हें वरिष्ठ जजों की सहायता लेनी चाहिए जो हाई कोर्ट में अपने साथ काम करने वाले जजों की विशेषज्ञता की अच्छी जानकारी रखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कलीजियम मेरिट और वरिष्ठता के आधार पर नियुक्तियों की सिफारिश करता है, जबकि सरकार की इंटेलिजेंस एजेंसियां नियुक्त किए जाने वाले जजों की स्क्रूटनी करती हैं। केंद्र ने जस्टिस के एम जोसफ का नाम कलीजियम को इस आधार पर लौटा दिया था कि उनके चीफ जस्टिस बनने से पहले उच्च न्यायालयों में उनके वरिष्ठ जज मौजूद थे।
इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम ने मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन का नाम सुप्रीम कोर्ट में भेजने के लिए आगे बढ़ाया है।ऐसा चलन है कि किसी नाम की दूसरी बार सिफारिश होने पर केंद्र सरकार की ओर से उसे लौटाया नहीं जाता। न्यायपालिका के सूत्र जजों की नियुक्ति में देरी का आरोप सरकार पर लगाते रहे हैं। हालांकि, सरकार का कहना है कि कॉलेजियम की ओर से नामों की सिफारिश न करने से देरी हो रही है।