सेन समाज की आर्थिक हालत जर्जर, जेवर प्रथा बनकर शासन नगदी की व्यवस्था करे

सेन समाज की आर्थिक हालत बेहद जर्जर है। कोरोनाकाल में हुए नुकसान की भरपाई अब तक नहीं हो पाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में अरसे से चली आ रही है पौनी पसारी की प्रथा से भी समाज के लोगों को ज्यादा लाभ नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्ध परिवारों द्वारा धान की फसल कटने पर जेवर प्रथा के तहत धान का कुछ अंश समाज के सदस्यों को दिया जाता रहा है। जिसको बेचकर गुजारा भी पूरी तरह पारिवारिक जिम्मेदारियों का नहीं हो पा रहा है। सेन समाज छत्तीसगढ़ शासन के मुखिया भूपेश बघेल से ग्रामीण क्षेत्रों में जेवर प्रथा बनकर नगदी राशि वितरण की व्यवस्था तत्काल करवाए साथ ही मालिश के लिए समाज के लोगों को घर में बुलाने की प्रथा खतम हो। ओबीसी वर्ग के मुख्यमंत्री होने के बाद भी अति जर्जर पिछड़ा वर्ग समाज में आने वाले सेन समाज के हितों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। सेन समाज अपनी उपेक्षा से दुखी है। चार साल होने के बाद भी समाज के हित में शासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाना है। उपेक्षा का स्पष्ट प्रमाण हैं। सेन समाज के समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो समाज के सदस्य उग्र आंदोलन कर अपने अधिकारों को प्राप्त करने लिए सड़क पर उतरेंगे। उक्ताशय की जानकारी प्रेसक्लब रायपुर में आयोजित पत्राकरवार्ता में सेन समाज के महासचिव गौरीशंकर श्रीवास एवं समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने दी।