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तकनीक, भरोसा और सम्मान: छत्तीसगढ़ की नई धान खरीदी व्यवस्था ने बदली किसान की तस्वीर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 किसानों के लिए सिर्फ धान बेचने का मौसम नहीं, बल्कि भरोसे और आत्मविश्वास की नई शुरुआत बनकर सामने आया है। राज्य सरकार की आधुनिक, तकनीक-आधारित और किसान-केंद्रित धान खरीदी व्यवस्था ने यह साबित कर दिया है कि अब किसान की मेहनत सुरक्षित है और उसका पूरा मूल्य समय पर सीधे खाते में पहुंच रहा है।

एमसीबी जिले के ग्राम कंजिया निवासी किसान रामकरण सिंह इस बदली हुई व्यवस्था की जीवंत मिसाल हैं। वर्षों से खेती कर रहे रामकरण सिंह ने मौसम की अनिश्चितता और बढ़ती लागत के बावजूद पूरी मेहनत से फसल तैयार की। प्रति एकड़ 21 क्विंटल तक धान खरीदी और 3100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य की नीति ने उनके मन से असुरक्षा की भावना दूर कर दी और खेती के प्रति नया भरोसा जगाया।

कंजिया उपार्जन केंद्र पर दिखी व्यवस्था की ताकत

‘तुहर टोकन 24×7’ प्रणाली के तहत निर्धारित तिथि पर टोकन लेकर जब वे कंजिया उपार्जन केंद्र पहुंचे, तो उन्हें पहले से कहीं अधिक सुव्यवस्थित और किसान-हितैषी माहौल मिला। बैठने की व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल और कर्मचारियों का सहयोगी व्यवहार यह दिखाता है कि अब खरीदी प्रक्रिया में किसान का सम्मान सर्वोपरि है।

डिजिटल तौल कांटा, फोटो आधारित सत्यापन और रियल टाइम डेटा एंट्री जैसी तकनीकों ने पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और भरोसेमंद बना दिया। बिना लंबी कतार, बिना भ्रम और बिना देरी के सारी कार्यवाही किसान की मौजूदगी में पूरी हुई।

100 क्विंटल धान की बिक्री, आत्मविश्वास में बढ़ोतरी

इस सत्र में रामकरण सिंह ने 100 क्विंटल धान का सफलतापूर्वक विक्रय किया। समय पर और सीधे बैंक खाते में भुगतान मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। अब वे बच्चों की पढ़ाई, घरेलू जरूरतों और अगली फसल की तैयारी को लेकर निश्चिंत होकर योजना बना पा रहे हैं।

रामकरण सिंह का मानना है कि नई धान खरीदी व्यवस्था ने खेती को फिर से सम्मानजनक और सुरक्षित आजीविका बनाया है। उनकी कहानी उन हजारों किसानों की भावना को दर्शाती है, जो इस बदली हुई व्यवस्था से लाभ लेकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह साफ संकेत है कि सही नीति, आधुनिक तकनीक और संवेदनशील प्रशासन मिलकर किसान के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

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