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छत्तीसगढ़ में जूट की खेती को नई उड़ान: किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण और तकनीकी प्रदर्शन

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जूट की खेती को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण सह वैज्ञानिक किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आईबीआईटीएफ द्वारा वित्त पोषित जूट खेती परियोजना के तहत, आईआईटी भिलाई के सहयोग से संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय जूट बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. नीलेन्दु भौमिक ने रिबनर मशीन का प्रदर्शन करते हुए यांत्रिक फाइबर निष्कर्षण को सरल बनाने की विधियाँ साझा कीं। उन्होंने बताया कि यह तकनीक जूट की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होगी।

आईआईटी भिलाई के निदेशक डॉ. राजीव प्रकाश ने किसानों को रेशेदार फसलों की पारिस्थितिकीय भूमिका पर जागरूक किया और रेटिंग प्रक्रिया के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने किसानों से अपील की कि छत्तीसगढ़ में फिर से जूट की खेती को अपनाएं।

वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान संचालक डॉ. विवेक त्रिपाठी ने किसानों को खरीफ में चावल के विकल्प के रूप में ग्रीष्मकालीन जूट खेती पर विचार करने को कहा, जिससे आय और आजीविका दोनों में वृद्धि हो सकती है।

डॉ. प्रज्ञा पांडे ने जूट की उन्नत खेती पद्धतियों पर और डॉ. अरुण उपाध्याय ने एंजाइमेटिक रेटिंग तकनीक पर जानकारी दी।

कार्यक्रम में धमतरी और रायपुर जिलों से आए 30 किसानों ने भाग लिया। किसानों ने मशीनों का प्रदर्शन देखा, जूट के नमूनों का अवलोकन किया और आगामी वर्षों में खेती विस्तार की सहमति जताई। वर्तमान में धमतरी में 4 एकड़ भूमि पर जूट की खेती की जा रही है।

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