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दो साल में बदली श्रमिकों की तस्वीर, डिजिटल सुशासन से जमीन पर उतरा बदलाव

रायपुर। सुशासन का अर्थ केवल फाइलों की तेज़ रफ्तार या योजनाओं की घोषणा नहीं, बल्कि उस बदलाव से है जो समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति के जीवन में महसूस हो। पिछले दो वर्षों में छत्तीसगढ़ का श्रम विभाग इसी सोच के साथ आगे बढ़ता दिखाई देता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में श्रमिकों के अधिकार, सुरक्षा और सम्मान को केंद्र में रखकर कई ठोस और दूरगामी कदम उठाए गए हैं।

डिजिटल सुशासन की दिशा में श्रम विभाग ने उल्लेखनीय प्रगति की है। ई-ऑफिस प्रणाली से प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ी है, वहीं आधुनिक वेबसाइट और ‘श्रमेव जयते’ मोबाइल ऐप ने श्रमिकों के लिए पंजीयन, योजनाओं में आवेदन और पलायन संबंधी जानकारी को आसान बना दिया है। तकनीक के सहारे शासन अब श्रमिकों के और करीब पहुँचा है।

नवगठित जिलों तक विभाग की पहुँच बढ़ाने के लिए नए श्रम पदाधिकारी कार्यालयों की स्थापना और दर्जनों नई नियुक्तियों से व्यवस्थागत मजबूती आई है। इससे सेवाओं की गति बढ़ी और श्रमिकों को समय पर राहत मिलने लगी। श्रम कानूनों में संतुलित सुधार करते हुए सरकार ने व्यापार सुगमता और श्रमिक हितों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित किया है। दुकान एवं स्थापना अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और नए नियोजन प्रावधानों से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।

श्रमिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से लाखों श्रमिकों को लाभ पहुंचाया गया है। पंजीयन, आर्थिक सहायता, आवास योजना, प्रसूति सहायता और पोषण योजनाओं ने श्रमिक परिवारों के जीवन में वास्तविक बदलाव लाया है। शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर विशेष जोर देते हुए श्रमिकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति, कोचिंग और प्रोत्साहन योजनाएं लागू की गईं।

24×7 मुख्यमंत्री श्रमिक सहायता केंद्र और जिला-स्तरीय श्रम संसाधन केंद्रों ने शिकायत निवारण को सरल बनाया है। डीबीटी प्रणाली से लाभ सीधे खातों में पहुंचा, जिससे पारदर्शिता और भरोसा मजबूत हुआ। कुल मिलाकर, यह दो वर्ष श्रम विभाग के लिए आंकड़ों से आगे बढ़कर संवेदना और परिणाम का सफर साबित हुए हैं।

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