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मोदी सरकार का बड़ा कदम: 1 लाख करोड़ रुपये का RDI फंड, विज्ञान और नवाचार में निजी निवेश को मिलेगा बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन (RDI) फंड की शुरुआत की, जिसका कुल राशि एक लाख करोड़ रुपये है। इस पहल का मकसद निजी कंपनियों और उद्यमियों को देश में शोध और विकास (R&D) में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए प्रेरित करना है।

इस घोषणा का अवसर एमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC) 2025 था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय वैज्ञानिक उपलब्धियों पर आधारित कॉफी टेबल बुक और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के लिए विज़न डॉक्यूमेंट भी लॉन्च किया।

RDI फंड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पैसा सीधे किसी उद्योग या स्टार्टअप में नहीं जाएगा। इसके लिए दो-स्तरीय फंडिंग संरचना बनाई गई है। पहले स्तर पर राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) के अंतर्गत एक विशेष उद्देश्य फंड (SPF) स्थापित होगा, जो एक लाख करोड़ रुपये के कॉर्पस का संरक्षक बनेगा। SPF, दूसरे स्तर के फंड मैनेजरों को पैसा उपलब्ध कराएगा, जिनमें वैकल्पिक निवेश फंड (AIF), विकास वित्त संस्थान (DFI), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFCs) और अन्य वित्तीय संस्थाएं शामिल होंगी।

निवेश के निर्णय सरकार नहीं, बल्कि विशेषज्ञों की टीम लेगी। यह निर्णय एक निवेश समिति (Investment Committee) के जरिए लिया जाएगा, जिसमें वित्त, व्यापार और तकनीकी क्षेत्र के वरिष्ठ विशेषज्ञ होंगे। ये समितियां पूरी तरह से सरकार से स्वतंत्र (Arm’s Length) होंगी, ताकि निवेश केवल सर्वश्रेष्ठ और प्रभावी रिसर्च प्रोजेक्ट्स में ही हो। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) RDI फंड का नोडल मंत्रालय होगा और पूरे समन्वय की जिम्मेदारी संभालेगा।

इस पहल से आम लोगों को भी लाभ मिलेगा। निजी निवेश बढ़ने से उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता सुधरेगी। स्वास्थ्य सेवा में सस्ते और बेहतर उपकरण, कृषि में उन्नत बीज और मशीनरी, और नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुल मिलाकर यह देश में तकनीकी और वैज्ञानिक विकास को नई दिशा देगा।

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