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अब की बार अंबिकापुर में कौन मारेगा बाजी,भाजपा सत्ता पाने के लिए कर रही है जीतोड़ मेहनत

नमस्कार, जय जोहार दोस्तों, विधानसभा के विश्लेषण सीरीज में हमें लगातार आपके कमेंट मिल रहे हैं, आपके जरिये हम आपके क्षेत्र के विधायक के काम का भी आंकलन करने की कोशिश कर रहे हैं, लिहाजा आप कमेंट के माध्यम से लगातार हम से जुड़े रहे हैं, जिसको भी अपना सही प्रत्याशी चुनने में मदद मिल सके ।
विधानसभा के विश्लेषण की इस सीरीज में आज हम उस विधानसभा सीट की बात करने जा रहे हैं, जहां से लगातार तीन बार से टीएस सिंघदेव चुनाव जीतकर पहले नेता प्रतिपक्ष तो अब कैबिनेट मंत्री बने हैं । इसके साथ ही इस विधानसभा सीट से लगातार तीन बार हारकर हैट्रिक लगाने वाले भाजपा प्रत्याशी के बारे में भी हम बात करेंगे ।
तो चलिये शुरूआत छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव से ही करते हैं । और ये साल था 2003, 2003 में, अंबिकापुर विधान सभा क्षेत्र में कुल 184121 मतदाता थे। कुल वैध मतों की संख्या 123363 रही। इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कमल भान सिंह जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 65812 वोट मिले। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार मदन गोपाल सिंह कुल 28590 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वह 37222 वोटों से हार गए।
जीत के लिहाज से देखा जाए तो कमलभान की ये जीत काफी बड़ी थी, लेकिन इसके बाद वक्त ने करवट ली, और इस विधानसभा सीट पर टीएस सिंहदेव की एंट्री हुई, और इसके बाद ये सीट पिछले तीन चुनावों से भाजपा के खाते में नहीं आई है । साल 20008 की बात करें तो 2008 में, अंबिकापुर विधान सभा क्षेत्र में कुल 188173 मतदाता थे। वैध मतों की कुल संख्या 133083 थी। इस सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार टी एस बाबा जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 56043 वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुराग सिंह देव कुल 55063 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वह 980 वोटों से हार गए। हालांकि टीएस सिंहदेव की जीत का ये अंतर बेहद मामूली था, लेकिन इसके बाद आने वाले चुनावों में टीएस सिंहदेव ने अपनी क्षेत्र की जनता का दिल जीत लिया और उनका प्रभाव सिर्फ अंबिकापुर ही नहीं बल्कि पूरे जिले में बढ़ता चला गया ।
साल 2013 में, अंबिकापुर विधान सभा क्षेत्र में कुल 203212 मतदाता थे। वैध मतों की कुल संख्या 163973 थी। इस सीट से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार टी एस बाबा जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 84668 वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुराग सिंह देव कुल 65110 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वह 19558 वोटों से हार गए।
अब अगर बात पिछले चुनाव की करें तो 980 वोटों की जीत से शुरू हुआ टीएस सिंहदेव का ये सफर साल 2018 आते-आते करीब चालीस हजार तक पहुंच गया ।
साल 2018 में, अंबिकापुर विधान सभा क्षेत्र में कुल 226012 मतदाता थे। वैध मतों की कुल संख्या 178749 थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार टी एस बाबा (ई) जीते और इस सीट से विधायक बने। उन्हें कुल 100439 वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार अनुराग सिंह देव कुल 60815 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वह 39624 वोटों से हार गए।
वैस टीएस बाबा ये चुनाव करीब 40 हजार के मार्जिन से जीत तो गए, लेकिन उनके क्षेत्र की जनता उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहती थी, और उनकी ये मंशा फिलहाल अधूरी है । और सीएम न बनने का मलाल भी अक्सर टीएस बाबा की जुबान पर आ जाता है । और वे इस बार चुनाव न लड़ने की मंशा भी प्रदेश की जनता के सामने जाहिर कर चुके हैं । और अगर इस बार टीएस सिंहदेव चुनाव नहीं लड़ते तो अंबिकापुर विधानसभा से आप किसकी जीत पक्की मानते हैं, भाजपा की या फिर फिर कांग्रेस की ।

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