अमेरिका-पाकिस्तान की दोस्ती और भारत-कजाकिस्तान की नई रणनीति: एक नए विश्व व्यवस्था का संकेत

अमेरिका ने पाकिस्तान को गले लगाकर अपने संदेश को काफ़ी स्पष्ट कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख मुनीर को दोबारा अपने देश बुलाकर अपनी सियासी रणनीति को दिखाया है। वहीं भारत भी किसी से कम नहीं है। अपनी शेर जैसी ताकत दिखाते हुए, भारत ने वाशिंगटन के करीबी साथी कजाकिस्तान के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत कर लिया है।
कजाकिस्तान के प्रथम उप रक्षा मंत्री लेफ्टिनेंट जनरल सुल्तान कमालतदीनोव नई दिल्ली में CDS जनरल अनिल चौहान और सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से मिले। दोनों देशों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने और सैन्य संबंधों के विस्तार पर सहमति जताई। रक्षा मंत्री संजय सेठ से भी हुई बैठक में सुरक्षा और रक्षा उद्योग में साझेदारी पर बातचीत हुई।
सीडीएस ने कहा कि भारत कजाकिस्तान के साथ रक्षा साझेदारी को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। कजाकिस्तान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ ने भी संयुक्त अभ्यास, रक्षा प्रौद्योगिकी और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई। भारत की कजाकिस्तान के साथ यह दोस्ती अमेरिका को एक अलग संदेश दे रही है।
कजाकिस्तान का परिचय
मध्य एशिया का सबसे बड़ा देश, और दुनिया का 9वां सबसे बड़ा देश, कजाकिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है। सैन्य दृष्टि से यह क्षेत्र का मजबूत देश है, जिसने स्वेच्छा से परमाणु हथियार छोड़ दिए। इस देश की सीमा चीन समेत कई पड़ोसियों से जुड़ी है, लेकिन यह विवादों को सुलझाने में सक्षम रहा है।
34 साल पुराना यह देश लगभग 20 मिलियन आबादी वाला है, जिसकी सबसे लंबी सीमा रूस के साथ है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद कजाकिस्तान रूस के साथ सहयोग करता रहा है।
अमेरिका-कजाकिस्तान के रिश्ते
1991 में कजाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद अमेरिका ने इसे मान्यता देने वाला पहला देश था। इसके बाद दोनों देशों ने मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए। अमेरिका कजाकिस्तान का सबसे बड़ा निवेशक है, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में। आतंकवाद विरोधी और सुरक्षा सहयोग दोनों देशों के बीच प्रमुख क्षेत्र हैं। कजाकिस्तान ने परमाणु अप्रसार संधि में भाग लेकर परमाणु हथियार कार्यक्रम खत्म किया।
भारत-कजाकिस्तान के रिश्ते
भारत कजाकिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में था। 1992 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए। तब से दोनों देशों ने कई बार राजनयिक और सैन्य सहयोग को मजबूत किया। प्रधानमंत्री मोदी के दौर में ये रिश्ते और भी मजबूत हुए हैं। दोनों देशों का संयुक्त सैन्य अभ्यास भी नियमित रूप से होता है।
2024 में उत्तराखंड के औली में हुआ आठवां कज़ाक-भारतीय संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने का उद्देश्य रखता है। कजाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार का समर्थन करता है और उसकी भूमिका को मजबूत बनाने का प्रयास करता है, ठीक वैसे ही जैसे भारत भी चाहता है।