छत्तीसगढ़रायपुर

पति-पत्नी साथ रहने के लिए हुए तैयार, आयोग करेगा 6 माह तक निगरानी

रायपुर। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्यों ने गुरुवार को आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। महिला आयोग के समक्ष महिला उत्पीड़न से संबंधित 20 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। 18 प्रकरणों में पक्षकार उपस्थित रहे। इनमे 6 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया है। शेष प्रकरणों को आगामी सुनवाई में रखा गया।
एक प्रकरण में अनावेदक ने दूसरी शादी करने में षड्यंत्र किया। साथ ही पत्नी के साथ घरेलू हिंसा किया। झूठा शपथ पत्र भी आर्य समाज में प्रस्तुत कर दूसरा विवाह किया है, जिनके अभिलेखों की जांच पुलिस थाना से की जाएगी। पति और सास के खिलाफ इस प्रकरण में धारा 476, 468, 471 और 494 भादस का अपराध दर्ज किए जाने के पूरे आधार है। आवेदिका के साथ हुए घरेलू हिंसा के आधार पर आवेदिका अपने दस्तावेज के साथ पुलिस थाना जाकर अनावेदकगण के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका पत्नी और अनावेदक के मध्य एक सहमति पत्र हाथ से लिखा हुआ आयोग को प्रस्तुत किया गया। इसमें पत्नी ने 15,000 रुपए भरण पोषण प्रतिमाह पति ने बैंक खाते में जमा करने प्रस्ताव दिया। इसे पति ने स्वीकार किया। पति डेंटल कॉलेज में कार्यरत हैं। आवेदिका के साथ दो बेटियां भी है जो अध्ययनरत है जिनका रहन सहन आवेदिका कर रही है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका को अनावेदक क्रमांक 1 से वर्तमान में किसी प्रकार से कोई शिकायत नहीं है, अनावेदक क्रमांक 2 अनुपस्थित रहे अनावेदक कुरूद प्रधान आरक्षक पद पर कार्यरत हैं। अनावेदक क्रमांक 2 पुलिस का जिम्मेदार कर्मचारी होने के बावजूद अपनी मां के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट करता है, आगामी सुनवाई में धमतरी पुलिस अधीक्षक के माध्यम से अनावेदक क्रमांक 2 को उपस्थित कराने आयोग द्वारा निर्देशित किया गया है।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदिका अपनी देवरानी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रकरण प्रस्तुत किया। उसने बताया कि देवर के साथ अवैध संबंध का आरोप लगाकर बदनाम करती है और चारित्रिक लांछन लगाती है। आवेदिका की शिकायत को विस्तार से सुना गया अन्य अनावेदकगण को भी आयोग द्वारा सुना गया। दोनों को आयोग द्वारा समझाइश दी गई। देवर देवरानी को सशर्त रहने के लिए परिवारजन सहमत इस प्रकरण को 6 माह तक आयोग के निगरानी में रखा गया है।

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