उदयपुर।राजस्थान के उदयपुर जिले के दैया पंचायत में भुजा की मीरा देवी ने बच्चों को शोषण से बचाने और भीषण गर्मी के महीनों में कपास की खेती के लिए गुजरात ले जाने से रोकने के लिए अथक परिश्रम किया। बच्चों के विकास को लेकर मीरा ने खूब काम किया। उन्हें शोषण से मुक्ति दिलाकर पढ़ाई-लिखाई की तरफ ले जाकर समुदाय की समृद्धि में भूमिका निभा रही है। मीरा भीलों के बीच काम करती हैं, जो राजस्थान में एक प्रमुख आदिवासी समुदाय है। यह समुदाय आर्थिक, सामाजिक रूप से और कम साक्षरता के स्तर के कारण वंचित है। 300 घरों वाले गांव में 222 परिवार गरीबी रेखा के नीचे होने के साथ भुजा को राजस्थान के पश्चिमी राज्य में सबसे अधिक सीमांत गांवों में से एक माना जाता है। मीरा आश्वस्त हैं कि शिक्षा समुदाय में मौजूदा स्थितियों को सुधारने का एकमात्र तरीका है। इससे उन्हें अपने आंगनवाड़ी केंद्र में 78 बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिला। वे मानती हैं कि वे अपनी शिक्षा पूरी करेंगे, प्रचलित प्रथा को बदलेंगे और अपने सुदूर गांव में प्रसिद्धि लाएंगे।मीरा गरीब विधवाओं, विकलांगों और बुजुर्गों की सहायता की मदद करती है और उन्हें उनके लिए मौजूद विभिन्न प्रासंगिक सरकारी योजनाओं से अवगत कराती हैं और उनके फॉर्म भरने में भी मदद करती हैं ताकि वे तुरंत आवेदन कर सकें। मीरा ने कई अन्य लोगों को भी अपने सपनों को पाने में मदद की है और अपने गांव के लिए एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया है। सहायिका और आशा के सहयोग से मीरा बच्चों को पढ़ाती हैं और बच्चों के विकास और पोषण के रिकॉर्ड और भुजा गांव में गर्भवती माताओं के रिकॉर्ड को बनाए रखने में मदद करती हैं उन्होंने अपने क्षेत्र की अन्य महिलाओं की मदद से तीन स्वयं सहायता समूह का गठन किया है ताकि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके और उन्हें तुरंत निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। स्थानीय स्कूल प्रबंधन समिति के प्रमुख मणिलाल अहारी समुदाय को मीरा के महत्व का एहसास कराते हैं। वे कहते हैं, ‘वह हमारे गांव के लिए किसी असेट से कम नहीं है और एक प्रेरणा है। साथ ही, वह बच्चों और उनके माता-पिता के साथ अच्छी तरह से संबंध स्थापित कर सकती है।’