छत्तीसगढ़ में युवा बने “तंबाकू मुक्त मिशन” के अग्रदूत, जागरूकता और कार्यवाही दोनों जोर-शोर से

रायपुर। छत्तीसगढ़ में युवाओं को तंबाकू के खतरों से अवगत कराने और नशामुक्त जीवनशैली अपनाने के उद्देश्य से “तंबाकू मुक्त युवा अभियान 3.0” जोर-शोर से चल रहा है। यह पहल राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित है और इसका मुख्य लक्ष्य युवाओं में जागरूकता फैलाना तथा तंबाकू सेवन को रोकना है।
अभियान के तहत पूरे प्रदेश के स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, एनएसएस और एनसीसी इकाइयों के साथ-साथ युवा संगठन और आम नागरिक इस मुहिम में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। कार्यक्रमों में जागरूकता रैलियाँ, निबंध एवं पोस्टर प्रतियोगिताएँ, नुक्कड़ नाटक, वाद-विवाद और संवाद सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इन माध्यमों से युवाओं को मुख एवं फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, श्वसन संबंधी परेशानियाँ और अन्य गंभीर बीमारियों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
राज्य एवं जिला स्तर पर संवेदनशील क्षेत्रों जैसे शैक्षणिक संस्थान, बस स्टैंड, अस्पताल परिसर और बाजारों में नियमित निरीक्षण और चालानी कार्रवाई की जा रही है। तंबाकू नियंत्रण कानून (कोटपा एक्ट-2003) के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग मिलकर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं।
वर्ष 2025 की पहली छमाही में 4,288 चालानी कार्यवाहियाँ की गईं, जिनसे लगभग 4 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया। विभाग ने स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल दंडात्मक नहीं है, बल्कि सामाजिक व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने पर केंद्रित है।
अभियान की मॉनिटरिंग राज्य तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ के सहयोग से की जा रही है। लक्ष्य है कि वर्ष 2025 तक अधिक से अधिक शिक्षण संस्थानों को “तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान” के रूप में प्रमाणित किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मुख का कैंसर राज्य में तंबाकू सेवन का प्रमुख परिणाम है। छत्तीसगढ़ में तंबाकू उपयोग दर 39.1% है, जो राष्ट्रीय औसत 26% से काफी अधिक है। इस आंकड़े से यह स्पष्ट होता है कि तंबाकू नियंत्रण और जागरूकता बढ़ाने के लिए और प्रयास आवश्यक हैं।
भारत में 15 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 29% वयस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। छत्तीसगढ़ में यह अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक होने के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करता है।



