छत्तीसगढ़बस्तर

जगदलपुर ;गांजा तस्करों के लिए स्वर्ण पथ है बस्तर

जगदलपुर  ;ओडि़शा के रास्ते बस्तर से होकर जाने वाले मार्ग जो पहले भी गांजा तस्करी के लिए प्रसिद्ध थे वे मार्ग आज भी गांजा तस्करी के लिए तस्करों की पसंद बनकर बस्तर को गांजा तस्करी का स्वर्ण पथ बना रहे हैं। ज्ञात तरीके से पुलिस प्रति सप्ताह गांजा तस्करी के कई मामले विभिन्न मार्गों पर पकड़ती है और वह अपनी उपलब्धि का बखान करते हुए पेपरों में प्रचार पा जाती हैं। यह उल्लेखनीय है कि बस्तर की सीमा से लगे हुए ओडि़शा के मलकानगिरी सहित कोरापुट जिले में अवैध रुप से गांजा की फसल उगाई जाती है और इस पैदा हुए गांजे को यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली सहित पूरे भारत में तस्करी के द्वारा ले जाया जाता है। जबकि वैधानिक दृष्टि से ना तो गांजे की फसल ली जा सकती है और ना ही इसे किसी भी प्रकार से बेचा जा सकता है। उसके बाद भी गांजे का प्रचलन नशेडिय़ों के मध्य अत्यधिक रुप से चल रहा है। ओडि़शा में गांजा की कीमत कम होती है और इसके बस्तर आते तक मूल्य दुगुने से चौगुने हो जाते हैं। जब यह गांजा छत्तीसगढ़ के बाहर अन्य प्रदेशों में पहुंचता है तब इसका मूल्य कई गुना बढ़ जाता है।  इन प्रदेशों के तस्करों द्वारा इसे अवैध रुप से अपने बेरोजगार नवयुवकों को अत्यधिक प्रलोभन देकर तस्करी के लिए ओडि़शा भेजा जाता है। जहां से ये युवक गांजे की खेप भरकर स्थानीय लोगों की सहायता से तस्करी करने में सफल होते हैं और कभी पुलिस की पकड़ में आ जाते हैं। गांजा ले जाने के लिए बस्तर का ही रास्ता चुना जाता है क्योंकि यही रास्ता उन्हें सबसे अधिक सुगम और आसान लगता है अभी दो दिन पूर्व संभाग के कोण्डागांव जिले के अंतर्गत कार से गांजा ले जा रहे दो युवकों को पुलिस ने पकड़ा और उनके पास से वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार 3 लाख रुपये का गांजा बरामद किया। ये दोनों युवक मध्यप्रदेश के रायसेन और नरसिंहपुर जिले के हैं। इस प्रकार यह तो एक गांजे की छोटी सी खेप पकड़ी गई वह भी पुलिस को गांजा तस्करों के मध्य होने वाली तकरार से मुखबीर की सूचना पर। यदि गौर किया जाये तो यह गांजा बिना मुखबीर की सूचना के पकड़ा ही ना जा सकता था। यह पुलिस के लिए भी एक चुनौती के रुप में सामने खड़ा होता है।
 
 

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