जगदलपुर, राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2017 के संशोधन प्रस्ताव पर आदिवासी समाज आक्रोशित हो गया है और समाज के वरिष्टजनों का कहना है कि आदिवासी बाहुल्य छग में राज्य सरकार आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है और उसे लगातार सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
राज्य शासन इस संबंध में बने कानूनों की भी परवाह नहीं कर रही है। सर्व आदिवासी समाज जिला बस्तर के पदाधिकारियों और सदस्यों ने गत दिनों शहर के भीड़भाड़ वाले अग्रसेन चौक में प्रदर्शन कर सरकार के विरोध में नारे लगाए व जमकर खरीखोटी सुनाई साथ ही यह चेतावनी दी कि यदि सरकार विधेयक को वापस नहीं लेती है तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। इस मौके पर आक्रोशित समाज के लोगों द्वारा मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का पुतला फूंकने की भी कोशिश की गई।
पुलिस के समझाईश के बाद समाज के जिला अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया। समाज के लोगों ने कलेक्टोरेट पहुंचकर राज्यपाल के नाम पर अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें छग भू.राजस्व संशोधन विधेयक 2017 को आदिवासी विरोधी बताते हुए निरस्त करने की मांग की। आदिवासी विश्राम भवन में पत्रकारों से चर्चा में समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार की मनमानी नहीं चलने देंगे। यदि सरकार आदिवासियों को मिले संवैधानिक अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकती तो भाजपा को सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है। वरिष्ठ आदिवासी नेता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने बताया कि क्रिसमस के बाद बस्तर में समाज की संभागीय बैठक बुलाकर विधेयक के विरोध की रणनीति बनाई जाएगी।