बॉलीवुड

जबरदस्ती खुद को निर्देशन में क्यों धकेलूं: फरहान अख्तर

मल्टिटेलैंटेड ऐक्टर फरहान अख्तर एक साथ अभिनेता, निर्माता, लेखक, गायक और यहां तक की सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका भी बखूबी निभा रहे हैं। गायक के रूप में वह देशभर के 13 राज्यों में म्यूजिक कॉन्सर्ट कर रहे हैं, तो हाल ही में एमटीवी अनप्लग्ड में दूसरी बार फरहान, सुर साधते नजर आए। निर्माता के रूप में उनकी पिछली फिल्म फुकरे रिटर्न्स ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की, तो एक ऐक्टिविस्ट के रूप में वह अपनी संस्था मर्द के जरिए औरतों पर होने वाली हिंसा के खिलाफ जंग को जारी रखे हुए हैं। फरहान ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहली पारी लेखक-निर्देशक के रूप में शुरू की थी। दिल चाहता है, लक्ष्य और डॉन 2 जैसी फिल्मों में उन्होंने निर्देशन की बागडोर बखूबी संभाली लेकिन साल 2011 में आई डॉन 2 के बाद से वह निर्देशक की कुर्सी पर नजर नहीं आए।
सही वक्त आने पर निर्देशन करूंगा
फरहान के फैंस काफी समय से उन्हें निर्देशक के रूप में देखने का इंतजार कर रहे हैं। डॉन 3 के साथ बतौर निर्देशक उनकी वापसी की खबरें भी आ रही हैं, तो वह निर्देशक की कुर्सी पर कब बैठेंगे? इस सवाल पर फरहान कहते हैं, इस समय जो-जो काम मैं कर रहा हूं, मैं प्रॉडक्शन कर रहा हूं, लेखन कर रहा हूं, अभिनय कर रहा हूं, गाने गा रहा हूं…इन सबमें मुझे भरपूर लुत्फ मिल रहा है, खुशी मिल रही है, संतुष्टि मिल रही है, तो मैं खुद को जबरदस्ती किसी और चीज के लिए क्यों धकेलूं? जब वक्त आएगा और ऐसी कोई बहुत ही कमाल की कहानी या फिल्म होगी कि मुझे ऐसा लगे कि अगर मैंने उसका निर्देशन नहीं किया तो मैं खुश नहीं रह पाऊंगा, तब मैं उसे जरूर निर्देशित करूंगा।
संगीत में अलग ही खुशी है
अभिनय और फिल्म निर्माण में व्यस्त होने के बावजूद गायिकी के लिए पर्याप्त समय निकालने वाले फरहान कहते हैं कि उन्हें दर्शकों के सामने ऐसे लाइव गाने में अलग ही खुशी मिलती है। उनके मुताबिक, इस खुशी को समझा पाना मुश्किल है। बेशक ये गाने हमने फिल्मों के लिए बनाए थे, लेकिन जब कॉन्सर्ट्स के जरिए उन्हें स्टेज पर लोगों को सुनाने का मौका मिलता है, तो अलग ही मजा आता है। उस अहसास को मैं शब्दों में नहीं बता सकता। वहीं बात अगर एमटीवी अनप्लग्ड की करें, तो वहां माहौल अलग होता है। सुनने वाले बहुत करीब होते हैं। लोग बैठकर सुकून से गाने सुनते हैं। साथ ही यहां हम जो गाने बजाते हैं, उसमें कोई भी इलेक्ट्रॉनिक साउंड नहीं होता। वह उतना ही सुरीला और सच्चा होता है, जैसा हमने जैमिंग के वक्त स्टूडियो में तैयार किया था।
जनता जैसा चाहेगी, वैसे गाने बनेंगे
फरहान भले ही इलेक्ट्रॉनिक साउंड रहित गानों को सुरीला और सच्चा करार देते हैं, लेकिन आज के दौर में ऐसे मशीनी शोर वाले गानों की भरमार ज्यादा है? इस बाबत फरहान का कहना है, मेरे ख्याल से हर किस्म का म्यूजिक बन रहा है। शायद आज ज्यादातर लोग ऐसे गाने पसंद करते हैं, जो वे जल्दी से सुन सकें। उस पर डांस कर लें, ड्राइव करते हुए सुन लें, लेकिन ऐसा नहीं है कि अच्छे गाने नहीं बनाए जा रहे हैं। मेरे हिसाब से सुरीले गाने भी बनाए जा रहे हैं। संगीतकार तो इतना ही कर सकता है, बाकी तो सुनने वालों पर निर्भर करता है कि वे किस तरह के संगीत को सपॉर्ट करते हैं। आखिर में लोग ही तय करते हैं कि उन्हें कैसा संगीत सुनना है।
लिंगभेद के खिलाफ जारी रहेगी मुहिम
अपनी संस्था मर्द मेन अगेन्स्ट रेप ऐंड डिस्क्रिमिनेशन के जरिए फरहान रेप और महिला हिंसा के खिलाफ कई सालों से मुहिम छेड़े हुए हैं। वह इस दिशा में कितना बदलाव महसूस करते हैं, क्योंकि अब भी ऐसी घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं? यह पूछने पर फरहान कहते हैं, यह बहुत ही निराशावादी बात है कि लोग जबकि जान चुके हैं कि समाज में किस हद तक यह हिंसा और भेदभाव है, फिर भी यह समझाना इतना मुश्किल हो रहा है कि भाई, बदल जाओ। फिर भी हम निराश होकर बैठ नहीं सकते। कोशिश तो करनी पड़ेगी। अगर हार मान गए तो क्या फायदा होगा! इसीलिए, मैं यह संदेश हर जगह अपने साथ लेकर जाता हूं, वह चाहे फिल्म का प्रमोशन हो या मेरे म्यूजिक कॉन्सर्ट हों। रू्रक्रष्ठ को लेकर हमने फिल्में बनाई हैं, हम अलग-अलग एनजीओ से जुड़े हैं, तो मैं यह कोशिश करता रहूंगा कि लोग खुद तो बदलें ही, साथ ही यह बदलाव लाने के लिए अपनी तरफ से जो भी थोड़ा-बहुत कर सकते हों, जरूर करें। मैं चाहता हूं कि एक ऐसा वक्त आए, जब ऐसी चर्चा की जरूरत न पड़े। किसी को न लगे कि इस पर कुछ बात होनी चाहिए।
 

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