बॉलीवुड

जैकलीन से रोमांस पर बोले सिद्धार्थ मल्होत्रा

बीता साल सिद्धार्थ मल्होत्रा को इत्तेफाक जैसी सफल फिल्म के रूप में कामयाबी का तोहफा दे गया। इस फिल्म में उनके अभिनय को भी खूब सराहा गया। अब उन्हें इंतजार है अपनी जल्द प्रदर्शित होनेवाली फिल्म अय्यारी का। इस खास मुलाकात में उन्होंने अपनी फिल्म, पैडमैन से क्लैश, जैकलिन से अपने रोमांस की खबरों, परिवार के अलावा और भी कई मुद्दों पर दिल खोलकर बातें कीं।
आपके साथ पैडमैन भी रिलीज हो रही है। क्या आपको नहीं लगता कि यदि सिंगल रिलीज़ मिली होती, तो ज्यादा बेहतर होता?
हर कलाकार चाहता है कि उसकी फिल्म को सिंगल रिलीज़ मिले। अब मैं अपनी ही फिल्म की बात करूं तो अय्यारी आर्मी और आर्म फोर्सेज पर आधारित है और उसके लिए 26 जनवरी से ज्यादा कोई और उपयुक्त तारीख हो नहीं सकती थी। यह फिल्म इसी दिन के लिए बनी है, इसीलिए नीरज सर ने बहुत पहले इसके प्रदर्शन की घोषणा कर दी थी। वैसे मुझे लगता है कि वह राष्ट्रीय छुट्टी का दिन है, हमारे पास कई स्क्रीन हैं और दोनों फिल्मों को सही रिलीज़ मिल जाएगी। हम सभी एक-दूसरे के साथ काम कर चुके हैं। चाहे नीरज सर और अक्षय हों या मैं और अक्षय, तो हम सभी दोस्त हैं। अब यह दर्शकों पर निर्भर करता है कि वे कौन-सी फिल्म देखना चाहेंगे।
कुछ अरसे से आपकी और जैकलिन के रोमांस की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। कहा जा रहा है कि जैकलिन आपकी और आलिया की दोस्ती के बीच में आ गई हैं।
शुक्र है अय्यारी के दौरान ऐसी कोई खबर नहीं आई (हंसते हैं ), वैसे नीरज सर की फिल्मों के दौरान ऐसी खबरें नहीं आतीं। मैं आपको बताता हूं, मेरे लिए यह बहुत ही आम बात है। अक्षय सर के अलावा मेरा नाम हर किसी के साथ जोड़ा जा चुका है। देखिए, यह तो लोगों के नजरिए की बात है, कई बार लोगों को दो लोगों की दोस्ती कुछ अलग नजर आती है, तो उसमें किसी तरह की राय देने का क्या फायदा/ असल में हम अपनी फिल्म प्रमोट कर रहे थे। बहुत सारा वक्त साथ में बिता रहे थे, तो लोगों ने अपनी कहानियां बनानी शुरू कर दीं। ऐसा मेरे साथ हर फिल्म में होता है। मुझे लगता है कि लड़कियां मेरे साथ बहुत सहज महसूस करती हैं और इसलिए हमारी दोस्ती भी जल्दी हो जाती है और उस दोस्ती को देखकर लोग अफसाने बनाने लगते हैं। मैंने अब तक जितनी भी अभिनेत्रियों के साथ काम किया है, उनसे मेरा एक कम्फर्ट का रिश्ता रहा है और दोस्ती भी खूब रही है, मगर लोग उस सहजता को लोग कुछ अलग समझ लेते हैं।
अपने बारे में आपने सबसे अजीबो-गरीब खबर क्या पढ़ी थी?
अपने बारे में मैं कई अनाप-शनाप ख़बरें पढ़ता रहता हूं, मगर जो सबसे ज्यादा अजीब था, वो ये कि मैं मुंबई में किसी रहस्यमयी लडक़ी के साथ रह रहा हूं। वह मेरे बचपन की दोस्त है और मेरे साथ छिपकर रहती है। वह दिल्ली की लडक़ी है। हालांकि, उस आर्टिकल में मेरा नाम नहीं था, मगर इशारा मेरी तरफ ही था। मुझे बहुत अजीब लगा था, उस लेख को पढक़र।
फिल्म अय्यारी में आप देश के लिए जान की बाजी लगाते हुए दिखेंगे, असल जिंदगी में आपने कभी देश या समाज से जुड़े मुद्दों पर स्टैंड लिया है?
मैं दिल्ली के भगत सिंह कॉलेज में पढ़ा हूं और कॉलेज में हमने भ्रष्टाचार के खिलाफ कैंपेन में हिस्सा लिया था। मुझे लगता है आज भी करप्शन का मुद्दा उतना ही सामयिक है। मैं समझता हूं कि इस मामले में लोगों की सोच बदलने की जरूरत है। मैं असल जिंदगी में घूस और भ्रष्टाचार के सख्त खिलाफ हूं। आपको अपना घर खरीदना हो या कुछ और काम करना हो, आप अपना काम करवाने के लिए आप घूसखोरी का रास्ता अपनाएं, यह मुझे बिलकुल भी मंजूर नहीं। इस तरह आप पूरे सिस्टम को एक ऐसी दीमक दे देते हो, जो अंदर ही अंदर व्यवस्था को खोखला कर देती है। हमने अपनी फिल्म में भी इस मुद्दे को उठाया है।
आपकी फिल्म अय्यारी एक मुद्दे वाली फिल्म है। इस वक्त देश में ऐसे कौन-से मुद्दे हैं, जिन पर सबसे ज्यादा बात और काम करने की जरूरत है।
आज के दौर की सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुद्दे कुछ ज्यादा ही हो गए हैं और उस पर हर कोई अपनी राय दे रहा है। अभिव्यक्ति की आजादी अपनी जगह है, मगर जब आप उसको राजनीति के नजरिए से हेर-फेर करते हैं, तो वह अलग स्वरूप ले लेती है। आजकल मैं जब भी न्यूज चैनल खोलता हूं, तो मुझे वही दिखाई देता है। हर मुद्दे पर वही हो रहा है, चाहे हमारी फिल्मों को निशाना बनाया जाए, चाहे वह कमला मिल्स की आग हो अथवा महाराष्ट्र बंद का मुद्दा। आज के दौर में खबरों में मुद्दे कुछ ज्यादा नजर आ रहे हैं। मुझे लगता है, न्यूज में जो दिखाया जाता है, उसे भी सेंसर करना चाहिए, जिस तरह से हमारी फिल्में सेंसर होती हैं। न्यूज चैनल के लिए भी एक सेंसर बोर्ड होना चाहिए। खबरों में भी कई खबरें ऐसी होती हैं, जिनकी कोई सार्थकता नहीं होती। कई बार वे भडक़ाने का काम करती हैं। उन्हें भी छानकर और सोच-समझकर पेश करना चाहिए। हम हमेशा से एक विविधरंगी देश रहे हैं और पिछले साठ सालों से हमने भिन्न-भिन्न धर्म और जातियों के साथ सर्वाइव किया है, तो अब ये बवाल क्यों? कई बार न्यूज चैनल किसी खबर को कुछ ज्यादा ही उछाल देते हैं। न्यूज चैनल को खबरों को लेकर संवेदशीलता बरतनी चाहिए।
बीता साल आपको इत्तेफाक के रूप में एक सफल फिल्म की सौगात दे गया और अदाकार के रूप में आपकी तारीफ भी खूब हुई।
इत्तेफाक मेरे करियर की बहुत ही खास फिल्म है। छोटे बजट की बिना किसी पब्लिसिटी वाली इस फिल्म में मेरे नेगेटिव रोल को बहुत सराहा गया। मेरे लिए अदाकार के रूप में बहुत ही संतुष्टिपूर्ण अनुभव था कि लोग मेरे अभिनय की बात कर रहे थे। इस फिल्म को करने के बाद अलग तरह के किरदारों को निभाने के लिए मैं और ज्यादा कॉन्फिडेंट हो पाया। सच कहूं तो इत्तेफाक में हीरोइज्म वाला कोई एलिमेंट नहीं था। न गाने थे, न लोकेशन और ना ही मारधाड़। बस जो मजबूत पहलू था, वह स्क्रिप्ट थी। एक कलाकार के रूप में मेरे प्रति लोगों का नजरिया बदला है, जिसका फायदा मुझे अय्यारी में जरूर मिलेगा। लोग अब मेरी फिल्मों को नई अपेक्षाओं के साथ देखने आएंगे। मुझे उम्मीद है कि लोग मुझे नई कहानियों से जोड़ पाएंगे और मैं घिसे-पिटे रोल करने को मजबूर नहीं रहूंगा।
पिछले साल ऐसा क्या बकाया रहा है, जो आप इस साल करना चाहेंगे?
पिछले साल मैं अपने परिवार को छुट्टियों पर नहीं ले जा पाया था। मैं अपनी फैमिली को यूरोप लेकर जाने की योजना बना रहा था, मगर वक्त नहीं मिल पाया, तो 2018 में मुझे यह बकाया काम जरूर करना है।
नीरज पांडे जैसे निर्देशक के साथ काम करना कैसा रहा?
नीरज सर से मैं सालों पहले मिला था किसी और फिल्म के लिए। उस वक्त वह धोनी बना रहे थे। मगर धोनी के बाद उन्होंने मुझे तुरंत फोन किया और बताया कि वे एक ऐसी फिल्म बनाना चाहते हैं, जो अ वेडनस डे की तर्ज पर है। मैं उनके सिनेमा का हमेशा से मुरीद रहा हूं और उन्होंने जब बताया कि वे अय्यारी को अ वेडनसडे के अंदाज में बना रहे हैं, तो मैं बहुत ज्यादा उत्साहित हो गया। यह एक थ्रिलर है, जो एक संदेश के साथ आगे बढ़ती है। वे एक ऐसे फिल्मकार हैं, जो अपनी फिल्मों के जरिए न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि बदलाव लाने की कोशिश भी करते हैं। चाहे स्पेशल छब्बीस हो या धोनी। उनका प्रयास यही रहता है कि अपने सिनेमा से लोगों को कुछ सोचने या जागरूक करने के लिए प्रेरित करें। मैं उनकी बहुत इज्जत करता हूं।
 

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