
रायपुर। छत्तीसगढ़ का सुकमा एक बार फिर लाल आतंक की चपेट में आ गया। 9 जून की सुबह, जब एएसपी आकाश राव अपनी टीम के साथ नक्सली वारदात की जांच कर लौट रहे थे, तब अचानक ज़मीन के नीचे छुपी मौत ने दस्तक दी। डोंड्रा गांव के पास प्रेशर IED में हुए जोरदार धमाके ने न सिर्फ उनके दोनों पैर छीन लिए, बल्कि कुछ ही घंटों में छत्तीसगढ़ ने अपना एक जांबाज़ अफसर खो दिया।
इस दर्दनाक हादसे की जांच अब स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (SIA) को सौंपी गई है। गृह विभाग ने इसके लिए आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। जांच की कमान संभालने जा रहे हैं एसपी नीरज चंद्राकर, जिनकी अगुवाई में एसआईए की छह सदस्यीय टीम सुकमा रवाना होगी। इस टीम में एसपी, एएसपी, टीआई और एसआई स्तर के अधिकारी शामिल हैं।
डीजीपी अरुण देव गौतम और एसआईए डायरेक्टर अंकित गर्ग ने टीम को विशेष निर्देश दिए हैं—न सिर्फ घटना स्थल से सटीक साक्ष्य इकट्ठा करने की जिम्मेदारी, बल्कि इस विस्फोट के पीछे मौजूद नक्सली नेटवर्क को तोड़ने की भी चुनौती।
सूत्रों की मानें तो यह कोई सामान्य IED ब्लास्ट नहीं था, बल्कि एक सुनियोजित साजिश थी। 8 जून की रात, नक्सलियों ने डोंड्रा गांव की खदान में जेसीबी और अन्य मशीनों को आग के हवाले किया। लेकिन असली मकसद कुछ और था—ध्यान भटकाकर IED को जमीन में छुपाना। उन्होंने 2 फीट नीचे विस्फोटक दबा दिया, जिसका निशाना बनी ASP राव की टीम।
इस विस्फोट में एसडीओपी चंद्राकर और टीआई सोनल ग्वाला भी घायल हुए हैं और रायपुर के एक निजी अस्पताल में इलाजरत हैं। जबकि ASP आकाश राव ने अस्पताल पहुँचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
ADG विवेकानंद सिन्हा ने इस घटना को ‘नक्सलियों का ट्रैप’ बताया है। SIA की जांच अब यह तय करेगी कि इस साजिश के पीछे कौन थे, और कैसे इस भयावह हमले को अंजाम दिया गया।
शहीद आकाश राव का बलिदान खाली एक अफसर की मौत नहीं है, यह उस जंग का हिस्सा है जो देश के भीतर छिपे दुश्मनों से लड़ी जा रही है। अब देखना है कि क्या SIA इस साजिश की तह तक पहुँच पाती है।