बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों का मामला फिर से गर्माया हुआ है। संसदीय सचिव मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले को लेकर पूर्व में हुई बहस के तथ्यों को लेकर आज सुनवाई हुई। सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। ज्ञातव्य हो कि संसदीय सचिवों का केस पिछले चार सालों से कोर्ट में चल रही है। संसदीय सचिवों के मामले में फिलहाल फैसला का इंतजाऱ है। ज्ञात हो कि ये मामला हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस राधाकृष्णन और जस्टिस शरद गुप्ता की अदालत में है।
इस मामले में कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर और आरटीआई एक्टिविस्ट राकेश चौबे ने याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने मांग की है कि संसदीय सचिवों का पद लाभ के पद के दायरे में आता है लिहाज़ा प्रदेश के सभी 11 संसदीय सचिवों को बर्खास्त किया जाए। इस मामले में उन्होंने उनकी विधायकी समाप्त करने की भी मांग की है।
कांग्रेस की मांग है कि छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों और 18 विधायकों को बर्खास्त किया जाए। कांग्रेस ने इस संबंध में राज्यसभा चुनाव और 11 संसदीय सचिवों सहित लाभ के पदों पर विराजमान भाजपा के 18 विधायकों को बर्खास्त करने के लिये ज्ञापन दिया। साथ ही उनकी मांग है कि संसदीय सचिव हैं। उन्हें वोट देने से रोका जाए या फिर जब तक चुनाव आयोग का फैसला ना आ जाए चुनाव स्थगित कर दिया जाए।
गौरतलब है कि बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार सरोज पांडेय को अयोग्य घोषित करने की मांग भी कांग्रेस ने की है। कांग्रेस का आरोप है कि संसदीय सचिवों की विधायकी को लेकर हाईकोर्ट में मामला लंबित है। लिहाज़ा, उनके नामांकन को रद्द किया जाए। क्योंकि उनका हर नामांकन में प्रस्तावक एक संसदीय सचिव है।