भोपाल: आनंदीबेन पटेल ने मप्र राज्यापाल पद की ली शपथ
भोपाल : गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. मंगलवार को एक समरोह में उन्होंने राज्यपाल के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता राजभवन में एक समारोह में पटेल को राज्यपाल पद की शपथ दिलाई.
किए महाकाल के दर्शन
सोमवार को आनंदीबेन पटेल अहमदाबाद से एक चार्टड बस से सडक़ मार्ग से भोपाल पहुंचीं. यहां उन्होंने उज्जैन में महाकाल के दर्शन किए. मंगलवार को उन्होंने राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली का स्थान लिया. कोहली गुजरात के राज्यपाल हैं और मध्य प्रदेश के राज्यपाल का पद अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे. स्वतंत्र राज्यपाल नहीं होने के कारण मध्य प्रदेश की फाइलों को गुजरात भेजना पड़ता था.
दूसरी महिला राज्यपाल
आनंदीबेन पटेल मध्य प्रदेश की दूसरी महिला राज्यपाल बनी हैं. 1989 में सरला ग्रेवाल राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं. आनंदीबेन के नाम गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का भी गौरव शामिल है. उनका जन्म 21 नवंबर, 1941 को मेहसाणा जिले के खरोद में हुआ था. उन्होंने एमएससी और एमएड (गोल्ड मेडलिस्ट) तक शिक्षा प्राप्त की. अहमदाबाद के मोहिनाबा हाईस्कूल में प्राचार्य रहीं.
जताई थी चुनाव ना लडऩे की इच्छा
बता दें कि आनंदीबेन पटेल ने इस बार गुजरात में विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे का फैसला किया था. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी इच्छा जताई थी. उन्होंने फेसबुक के माध्यम से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे का ऐलान किया था.
सम्मानित टीचर, साहसी महिला
राजनीति में आने से पहले आनंदीबेन पटेल एक टीचर रही हैं. अपने कुशल अध्यापन के लिए उन्हें राज्यपाल और राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था. उन्हें 1987 में ‘वीरता पुरस्कार’ से भी नवाजा जा चुका है. यह पुरस्कार उन्हें नर्मदा नदी में डूबती हुई एक लडक़ी को बचाने के लिए मिला था. नौकरी करते हुए वे महिलाओं के उत्थान के लिए संचालित महिला विकास गृह में शामिल हो गईं, जहां उन्होने 50 से अधिक विधवाओं के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की.
1988 में आईं राजनीति में
सन् 1988 में आनंदीबेन भाजपा में शामिल हुईं. पहली बार वे उस समय चर्चा में आई जब उन्होंने अकाल पीडि़तों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया. वर्ष 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में वे मोदी के साथ पार्टी के लिए काम किया. 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से उन्होंने शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाला.