धर्म

साधना ही शांति का आधार : आचार्य विजयराज

रायपुर:  साधना ही शांति का आधार है। धर्म के बिना जीवन बेकार है। क्या भोग ही जिंदगी का लक्ष्य है। त्याग से आत्मा का उद्धार होता है। ये बातें राजधानी रायपुर आए जैन संत आचार्य विजयराज महाराज ने कही। उनका एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में रविवार सुबह आगमन हुआ। इसके बाद वे शैलेन्द्र नगर में पटवा भवन में पहुंचेंगे। जैन श्रावकों को उन्होंने गुरुदेव का संदेश बताया कि, सारा देश समतामय होना चाहिए। पूरे देश में समता का भाव नीहित होना चाहिए। गुरुदेव समता का संदेश देते हुए अनंत की यात्रा में चले गए। उन्होंने कहा कि सभी शांति चाहते हैं। अशांति कोई नहीं चाहता है। शांति साधनों से नहीं मिलती। आपके पास साधन हैं पर शांति नहीं है। शांति कहीं मिलेगी तो समता से ही मिलेगी। वर्तमान में सारा संसार विषमता से जूझ रहा है। परिवार में विषमता, संसार में विषमता है। माला जपने से शांति प्राप्त नहीं होती, लोग शांति के लिए शांति का पाठ करवाते हैं फिर भी शांति नहीं मिल पाती। उन्होंने श्रावकों को अशांति के 5 कारण बताए। उन्होंने कहा कि अशांति का पहला कारण है अविश्वास। विश्वास की कमी के कारण लोग अशांत हैं। पति-पत्नी, पिता-पुत्र में विश्वास है तो शांति होगी। लोगों पर विश्वास नहीं किया जाता पता नहीं कब कोई धोखा दे दे। शांति चाहते हैं तो परस्पर विश्वास करें। दूसरा कारण उन्होंने संदेह को बताया। मन में एक दूसरे के प्रति संदेह रखते हैं। क्या हमारे बारे में कोई षडयंत्र तो नहीं कर रहा। उन्होंने कहा कि संदेह है तो साहस होना चाहिए कि उससे जाकर पूछें और शंका का समाधान करें। तीसरा कारण है उपेक्षा, जितनी लोगों की उपेक्षा की जाएगी उतना ही मन अशांत होगा। इसलिए कभी किसी की उपेक्षा न करें। क्या पता कब कौन काम आ जाए। चौथा कारण है आक्षेप लगाना। छोटी-छोटी बातों पर लोग आक्षेप लगाने लगते हैं। यदि आप किसी पर आक्षेप लगाते हैं तो हो सकता कभी आप पर भी आक्षेप लगाया जाए। उन्होंने कहा कि अशांति का पांचवां कारण है प्रताडऩा या परेशान करना। किसी को परेशान करने से या उसे प्रताडि़त करने से शांति नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा मैंने चश्मा जरूर पहना है, लेकिन मेरी आंखों के सामने सम्प्रदाय का चश्मा नहीं पहना है। सर्वधर्म समभाव होना चाहिए, सभी के प्रति आदर का भाव होना चाहिए। अंत में विजयराज महाराज ने श्रावकों का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि मैं व्यक्ति नहीं व्यक्ति के गुणों की तारीफ करता हूँ। यदि किसी ने अच्छा कार्य किया है तो उसके कार्यों का सम्मान करना चाहिए। दादाबाड़ी के ट्रस्टी प्रकाश सुराना ने आचार्य एवं साधु-साध्वियों से ससम्मान दादाबाड़ी में रुकने का आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन अजय संचेती, विश्वास माल ने किया। सामाजिक कार्यकर्ता ओम प्रकाश बरलोटा ने माली अगर बाग़ में ना होवे तो बगिया सूनी हो जाती है और संत- साध्वियां नगर में न होवें तो चातुर्मास सूना पड़ जाता है गीत प्रस्तुत किया।  प्रीति माल के उपवास का आज बीसवां दिन है। अंत में आचार्य ने मांगलिक दिया वैसे ही जय -जैकार के नारों से सभा स्थल गूँज उठा। सोमवार को आचार्य विजयराज का प्रवचन पटवा जैन भवन शैलेन्द्र नगर प्रात: 9 बजे से 10 बजे तक रखा गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button