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छत्तीसगढ़ में न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिए 40 घंटे के मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत

रायपुर। बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में आज न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिए 40 घंटे के व्यापक मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक रमेश सिन्हा ने उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।

कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष संजय के अग्रवाल तथा मध्यस्थता केंद्र निगरानी समिति के अध्यक्ष पार्थ प्रतीम साहू भी उपस्थित रहे।

मुख्य न्यायाधिपति ने अपने संबोधन में मध्यस्थता को विवादों के त्वरित और सौहार्दपूर्ण समाधान का प्रभावी साधन बताया। उन्होंने बताया कि अब तक राज्य में 709 मामलों का सफलतापूर्वक मध्यस्थता के ज़रिए निपटारा किया जा चुका है, जो इस प्रक्रिया की बढ़ती स्वीकार्यता और सफलता को दर्शाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों को मध्यस्थता की प्रक्रिया, नैतिक पहलुओं और व्यावहारिक अनुभवों की गहन समझ प्रदान करेगा। प्रशिक्षण के दौरान वास्तविक मामलों पर अध्ययन और भूमिकात्मक अभ्यास भी शामिल रहेगा, जिससे प्रतिभागियों की दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

इस अवसर पर उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों—अरविंद कुमार ओझा, भूपेन्द्र सिंह चौहान, वर्मेंद्र फडणीस—के साथ-साथ अधिवक्ता परिषद मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रफुल्ल भारत, मध्यस्थता प्रशिक्षक गिरीजाकला सिंह और नीलम खरे भी मौजूद रहीं। बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारी, अधिवक्ता, रजिस्ट्रार जनरल और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 से 22 अगस्त तक चलेगा, जिसमें प्रतिभागियों को मध्यस्थता कौशल का विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह पहल छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र को नई दिशा और मजबूती प्रदान करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है।

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